India-Taiwan deal: भारत ने एक निर्णायक कदम उठाते हुए ताइवान के साथ श्रम समझौते पर साइन किया है, जिसके बाद भारत के श्रमिक ताइवान में जाकर काम कर सकेंगे. ऐसे में यह समझना जरूरी हो गया है कि अगर चीन-ताइवान के बीच युद्ध छिड़ता है तो इसका असर भारत की सुरक्षा पर कितना पड़ेगा. चीन लगातार ताइवान को धूर्त राज्य की संज्ञा देता है. 


16 फरवरी, 2024 को साइन हुए इस द्विपक्षीय समझौते को दोनों देशों के बीच मजबूत सम्बंध के तौर पर देखा जा रहा है. यह समझौता ताइवान में भारतीय प्रवासी श्रमिकों की भर्ती पर केंद्रित है. हालांकि, इस रिपोर्ट को दाखिल करने के समय तक चीन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है पर इस कदम से कड़ी प्रतिक्रिया मिलने की संभावना है.


दूतावासों में हुआ श्रम समझौता


ताइवान के श्रम मंत्रालय के मुताबिक, ताइवान-भारत दोनों देशों की राजधानी ताइपे और दिल्ली स्थित दूतावासों में समझौता ज्ञापन पर साइन किए गए. वहीं, इस समझौते पर दोनों देश अगला कदम कब उठाएंगे? इसकी जानकारी नहीं दी गई है. अभी तक श्रम समझौते की बारीकियों का खुलासा नहीं किया गया है पर लंबी बातचीत के बाद ही यह समझौता हुआ है. 


सीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच श्रम सहयोग पर बातचीत 2020 में ही शुरू हो गई थी लेकिन कोविड के कारण बात पूरी नहीं हो सकी. महामारी के बाद दोबारा से बातचीत शुरू हुई. उम्मीद जताई गई है कि सितंबर तक समझौते के मुख्य बिंदु तय कर लिए जाएंगे.


भारी संख्या में ताइवान में काम करते हैं प्रवासी


ताइवान सेमीकंडक्टर बनाने के लिए जाना जाता है पर वहां की आबादी लगातार बूढ़ी हो रही है. मौजूदा समय में करीब 7 लाख प्रवासी श्रमिक ताइवान में काम कर रहे हैं. ताइवान में मुख्य रूप से वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड से श्रमिक आते हैं. इनमें से ज्यादातर श्रमिक मैन्युफैक्चरिंग और बुजुर्गों की देखभाल करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान में हर साल प्रवासी श्रमिकों की मांग बढ़ रही है.


ताइवान के मंत्रालय ने भारतीय श्रमिकों को विश्वसनीय और मेहनती बताते हुए योजना का खुलासा किया. मंत्रालय ने कहा कि योजना के बिंदु क्लियर होने के बाद भारतीय कामगारों को प्रवेश दिया जाएगा. कितने कामगारों को ताइवान बुलाना है? इसकी संख्या भी ताइवान की ओर से ही निर्धारित की जाएगी. 


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