India-Sri Lanka Relation: डगमगाते आर्थिक हालात के दौर से गुजर रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने शुक्रवार को भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर अपनी बात रखी. रानिल ने कहा कि उनका देश भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को उन्नत बनाकर व्यापक आर्थिक और प्रौद्योगिकीय भागीदारी (Technological Partnership) करने को लेकर गंभीर है. उन्होंने यह भी कहा कि 2018 और 2019 में जो काम शुरू हुए, उसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई है.


भारत और श्रीलंका के बीच मुक्त व्यापार समझौता पहला द्विपक्षीय व्यापार करार था. समझौते पर 1998 में हस्ताक्षर किये गये थे और यह 2000 में अमल में आया. इसका मकसद व्यापार नियमों को उदार बनाकर दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाना था.


विक्रमसिंघे ने कहा-एफटीए को पटरी पर लाना है


विक्रमसिंघे ने भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ को लेकर श्रीलंका-भारत सोसायटी को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘श्रीलंका और भारत को खासकर आर्थिक संबंधों को लेकर धीरे-धीरे निवेश और गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करना है.’’ उन्होंने कहा कि भारत का पड़ोसी देशों के साथ रिश्ता व्यापार एकीकरण से निर्धारित होगा.


राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘व्यापार एकीकरण आर्थिक आधार देता है. साझा आर्थिक आधार बेहतर राष्ट्रीय सुरक्षा तथा बेहतर राजनीतिक संबंधों के लिये पूर्व शर्त है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार का पहला कदम एफटीए को पटरी पर लाना और उसे उन्नत बनाकर व्यापक आर्थिक प्रौद्योगिकी भागीदारी का रूप देना है. एफटीए को लेकर जो कार्य 2018 और 2019 में शुरू हुए, उसमें खास प्रगति नहीं हुई.’’


ऊर्जा के क्षेत्र में श्रीलंका-भारत होंगे साथ


विक्रमसिंघे ने कहा कि दूसरा कदम उन परियोजनाओं पर गौर करना है, जिस पर दोनों देशों ने सहमति जतायी है. लेकिन श्रीलंका की तरफ से उस पर देरी हुई है. 
उन्होंने कहा, "इस तरह की दो प्रमुख परियोजनाएं भारत और श्रीलंका के बीच पावर ग्रिड कनेक्शन, अपतटीय पवन ऊर्जा, पूर्वी प्रांत के समपुर में एक सौर ऊर्जा संयंत्र और उत्तर में जाफना के तीन द्वीपों पर अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं."


विक्रमसिंघे ने कहा-हम अक्षय ऊर्जा भारत को देंगे

राष्ट्रपति ने कहा-हमारे पास संभावित अक्षय ऊर्जा की जबरदस्त गुंजाइश है और दूसरे देशों से पहले भारत ने इसके लिए कदम बढ़ाया है. लेकिन पुत्तलम से मुल्लातिवु तक, अगर हम अक्षय ऊर्जा का दोहन करते हैं और हरित हाइड्रोजन के लिए जाते हैं और भारत को भी बिजली प्रदान करते हैं, तो इससे उत्तरी अर्थव्यवस्था का उत्थान होगा, जो पहले नहीं हुआ था. उन्होंने कहा हम भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को बढ़ावा देंगे, इसके लिए विशेष रूप से जाफना एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी हमने पहचान की है. 


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