पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत पांचवीं पीढ़ी के आधुनिक लड़ाकू विमान खरीदने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है. यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि स्वदेशी AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) के पूरी तरह से तैयार होने में वक्त लग सकता है.

IAF यह सुनिश्चित करना चाहती है कि चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के पास अगर अत्याधुनिक हथियार हैं तो भारत भी किसी मायने में पीछे न रहे. बता दें कि पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान न केवल स्टील्थ टेक्नोलॉजी (रडार से बचाव) से लैस होते हैं, बल्कि इनमें सुपीरियर एवियोनिक्स, सुपरसोनिक क्रूज, और मल्टीरोल क्षमताएं होती हैं.

दुश्मन देश से खतरे की घंटी

चीन पहले से ही 6वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर काम कर रहा है. पाकिस्तान को चीन अपने J-31 या FC-31 जैसे विमानों की आपूर्ति कर सकता है. ऐसे में भारत को अपनी उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर के लिए एडवांस एयरक्राफ्ट की जरूरत है, जो किसी भी खतरे के वक्त पूरी ताकत से जवाब दे सके.

कितने विमान खरीदेगा भारत?

IAF की योजना है कि 2 से 3 स्क्वाड्रन, यानी लगभग 40 से 60 फाइटर जेट्स खरीदे जाएं. एक स्क्वाड्रन में औसतन 18 से 20 विमान होते हैं. रक्षा सचिव आर.के. सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने इन विमानों की तत्काल आवश्यकता को मान्यता दी है और इनके शामिल होने से भारत की सामरिक स्थिति उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर और मजबूत होगी.

कौन-कौन से विकल्प हैं भारत के पास?

भारत के पास इस समय दो मुख्य विकल्प मौजूद हैं. भारत दुनिया के दो देशों से फाइटर जेट खरीद सकता है. इसमें अमेरिका और रूस मुख्य रूप से शामिल हो सकते हैं. F-35 लाइटनिंग II अमेरिका का सबसे एडवांस फाइटर जेट है. इसमें स्टील्थ कैपेबिलिटी और नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर की क्षमताएं है. अमेरिका पहले से ही पहले से नाटो देशों और जापान को F-35 लाइटनिंग II दे चुका है. दूसरा विकल्प रूस का Su-57 फाइटर जेट हो सकता है. ये स्टील्थ और सुपरसोनिक क्षमता वाला मल्टीरोल फाइटर जेट है. भारत पहले FGFA प्रोजेक्ट का हिस्सा रह चुका है, जो (Su-57 का भारतीय वर्जन) है. रूस अब फिर से इस पर बातचीत को तैयार है.

भारत का नजरिया

हालांकि सरकार ने अभी तक किसी एक विकल्प को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन उच्च-स्तरीय बातचीत दोनों देशों के साथ जारी है. अंतिम फैसला रणनीतिक, तकनीकी और कूटनीतिक पक्षों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा.

मेक इन इंडिया और 4.5+ पीढ़ी के लड़ाकू विमान

भारत न केवल विदेश से फाइटर जेट लेना चाहता है, बल्कि अब 114 अत्याधुनिक 4.5+ जनरेशन फाइटर जेट को मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर देश में ही निर्माण करना चाहता है. इसका मकसद है घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना है. आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाना है. भविष्य की जरूरतों को भारतीय स्तर पर पूरा करना है.

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