Maldives-Turkiye Drone agreement: मालदीव ने देश के समुद्री क्षेत्र में गश्त करने के लिए तुर्किये से ड्रोन खरीदे हैं. यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब चीन ने मालदीव के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने की राह पर आगे बढ़ रहा है. मुफ्त सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए चीन और मालदीव ने कुछ दिन पहले ही एक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.


मालदीव सरकार की ओर से अगले सप्ताह के भीतर ड्रोन का संचालन शुरू करने की संभावना है. अंग्रेजी अखबार 'दि टेलीग्राफ' की रिपोर्ट के मुताबिक, खरीदे गए ड्रोन की सही संख्या स्पष्ट नहीं है और न ही मालदीव के रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि की गई है. मीडिया की खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ड्रोन फिलहाल नूनू माफारू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हैं.


मालदीव के अधिकारी ने क्या कहा?


समाचार पोर्टल अधाधु ने मामले से जुड़े वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नवंबर में राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद तुर्किये  पहला देश था, जिसने मालदीव का दौरा किया था. हालांकि, समझौते के तहत तुर्किये से खरीदे गए ड्रोन की संख्या स्पष्ट नहीं है. सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार अगले सप्ताह के भीतर ड्रोन का संचालन शुरू करने के लिए काम कर रही है.


तुर्किये की बायकर कंपनी ने दिए ड्रोन


समाचार पोर्टल की ओर से आगे कहा गया कि मालदीव रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने सीधे तौर पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया और कहा कि क्षमताओं को मजबूत करने के लिए काम जारी है. बताया जा रहा है कि तुर्किये की कंपनी बायकर के टीबी 2 ड्रोन और ड्रोन के लिए आवश्यक उपकरण मालदीव पहुंचाए गए हैं. हालांकि, यह पहली बार है, जब मालदीव ने राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) के लिए ऐसे ड्रोन हासिल किए हैं. अधाधू के मुताबिक ड्रोन खरीदने के लिए मालदीव ने आकस्मिक बजट से 37 मिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित किए थे.


मालदीव से बाहर होंगे भारतीय सैनिक


यह घटनाक्रम मालदीव सरकार की ओर से द्वीप राष्ट्र से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए निर्धारित 10 मार्च की समय सीमा से पहले हुआ है. इस सप्ताह की शुरुआत में राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा था कि 10 मई के बाद कोई भी भारतीय सैन्यकर्मी, यहां तक ​​​​कि सिविल ड्रेस में भी उनके देश के अंदर मौजूद नहीं रहेगा.


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