बीजिंग: चीन में आयोजित हाई-प्रोफाइल बेल्ट एंड रोड फोरम का भारत ने बहिष्कार करके पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से गुजर रहे विवादित आर्थिक गलियारे के खिलाफ अपने विरोध को एक नया मुकाम दिया है. हालांकि बीजिंग ने सम्मेलन में भारत की भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास किये थे.


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के इस कदम पर अप्रत्यक्ष चुटकी लेते हुए कहा, ''अरबों डॉलर की लागत से बढ़ रहा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) एक आर्थिक परियोजना है, जो क्षेत्र के सभी देशों के लिए खुला है. इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.''


बी एंड आर के भव्य उद्घाटन समारोह में किसी भी स्तर के किसी भारतीय अधिकारी ने भाग नहीं लिया. समारोह में 29 देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों सहित संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक ओर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं के शीर्ष अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया. भारत ने 50 अरब डॉलर से भी अधिकार लागत से बन रहे सीपीईसी से जुड़े अपनी सम्प्रभुता की चिंताओं के कारण सम्मेलन का बहिष्कार किया है. यह गलियारा पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है.


नवाज शरीफ, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन सहित दुनिया के विभिन्न नेताओं ने सम्मेलन में भाग लिया. इसका उद्घाटन चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने किया. अमेरिका ने राष्ट्रपति के विशेष सहायक और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में एशिया के लिए वरिष्ठ निदेशक मैट पॉटिंगर के नेतृत्व में शिष्टमंडल को सम्मेलन में भेजा है.


चीन को भारत के बहिष्कार का अंदाजा पहले ही हो गया था, शायद इसी कारण उद्धाटन समारोह के सीधे प्रसारण के दौरान इस हाई-टेक सभागार में भारत के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं दिखी. हालांकि, इस समारोह में कुछ थिंक टैंक की ओर से भारतीय विद्वानों ने भाग लिया और समूह चर्चाओं में भी हिस्सा लिया.


सम्मेलन में भारत की अनुपस्थिति का जिक्र किये बगैर, अपने उद्घाटन संबोधन में राष्ट्रपति शी ने कहा कि सभी देशों को सम्प्रभुता का सम्मान करना चाहिए. 63 साल के नेता ने कहा, ‘‘सभी देशों को एक-दूसरे की सम्प्रभुता, सम्मान और भूभागिय अखंडता, एक-दूसरे के विकास की राहों और सामाजिक प्रणाली, एक-दूसरे की मुख्य दिलचस्पियों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान करना चाहिए.’’


चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि ‘बेल्ट और रोड’ इस सदी की परियोजना है जिससे पूरी दुनिया के लोगों को लाभ होगा. उन आकलनों को खारिज करते हुए कि इस कदम का लक्ष्य वन बेल्ट एंड वन रोड (ओबीओआर) परियोजना में भाग ले रहे देशों का छोटा समूह बनाना है, शी ने कहा कि चीन की योजना इसे एक शांति सड़क की तरह बनाने और अपने देश को एशिया, यूरोप और अफ्रीका के हिस्सों से जोड़ने की है.


अपने उद्घाटन भाषण में शी ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत आने वाली विभिन्न योजनाओं के लिए 124 अरब डॉलर राशि की घोषणा की.
इस दौरान सीपीईसी को लेकर भारत की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए चीन ने कहा कि परियोजना से कश्मीर मुद्दे पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आयेगा और यह वार्ता के जरिए भारत-पाकिस्तान के बीच सुलझाया जाना है.


भारत की चिंताओं को कम करने का प्रयास करते हुए नई दिल्ली में चीन के राजदूत लुओ जाओहुई ने सीपीईसी का नाम बदलने की पेशकश करते हुए जोर दिया. उन्होंने कहा कि यह आर्थिक सहयोग और संपर्क बढ़ाने संबंधी परियोजना है जिसका सम्प्रभुता मामले से कोई लेना देना नहीं है. वह नई दिल्ली में एक थिंक टैंक को संबोधित कर रहे थे.


हालांकि चीन ने बाद में चीनी दूतावास की वेबसाइट पर लगे राजदूत के बयान की प्रतिलिपी से इस टिप्पणी को हटा दिया. सम्मेलन में भारत की अनुपस्थिति वहां कवरेज के लिए पंजीकृत 4,000 चीनी और विदेशी मीडिया के बीच चर्चा का विषय रहा, लेकिन इसपर चीन और नई दिल्ली की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.


सम्मेलन में शरीफ भी भारत के बहिष्कार और सीपीईसी पर नयी दिल्ली के विरोध का प्रत्यक्ष हवाला देने से बचते रहे. हालांकि उन्होंने कहा कि इस कदम का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. उन्होंने इसपर जोर दिया कि यह परियोजना क्षेत्र के सभी देशों के लिए खुला है. सम्मेलन सोमवार को संयुक्त घोषणापत्र के साथ समाप्त होगा.