बीजिंग: चीन ने बुधवार को मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि वह नशीद द्वारा उसके विरुद्ध दिए गए 'गैरजिम्मेदाराना बयान' से आहत है. मालदीव में चीनी निवेश के कठोर आलोचक नशीद ने मीडिया को दिए साक्षात्कारों में कहा था कि बीजिंग समर्थक राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की हार के बाद देश निश्चित ही चीन से हुए करारों के बारे में सोचेगा और भारत के साथ अपने संबंधों में सुधार करेगा.

नशीद ने यह भी कहा था कि चीन जैसे तानाशाह देश के लिए मालदीव जैसे लोकतांत्रिक देश को समझ पाना मुश्किल है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग से नशीद के बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा, "हम कुछ लोगों द्वारा दिए गए गैर जिम्मेदाराना बयान से काफी निराश हैं और इन पर अफसोस जताते हैं. हम दोहराते हैं कि हम समानता और आपसी लाभ के आधार पर अपना सहयोग जारी रखेंगे. हम बाजार आधारित नियम का पालन करेंगे."

उन्होंने कहा, "मालदीव और चीन के बीच सहयोग क्या आगे बढ़ेगा या यह दोनों देश को सहायता पहुंचाएगा, यह दोनों देशों के लोगों पर हैं और इसे कुछ लोगों द्वारा बदनाम नहीं किया जा सकता." यामीन के नेतृत्व में मालदीव चीन के इतने करीब आ गया था कि मालदीव संसद ने बिना किसी बहस के बीजिंग के साथ मुक्त व्यापार समझौता स्वीकार कर लिया था. यामीन ने चीन की बेल्ट एवं रोड परियोजना का भी समर्थन किया था और देश में और अधिक चीनी निवेश की इच्छा जताई थी.

पिछले हफ्ते चुनाव के बाद सत्ता में आई मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी देश में चीन के दखल की आलोचक रही है. चीन को चिंता है कि नई सरकार यामीन के अंतर्गत किए गए सौदों पर फिर से बातचीत कर सकती है.

मालदीव में सत्ता परिवर्तनः भारत के लिए सोलिह का राष्ट्रपति बनना अहम है

मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह होंगे. सोलिह ने मालदीव प्रोगेसिव पार्टी के अब्दुल्ला यामीन को करारी शिकस्त दी. सत्ता में फेरबदल भारत के लिए बेहद अहम है. मालदीव में नई सत्ता के आगाज में जश्न मनाया जा रहा है. मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने चुनाव में तमाम गड़बड़ियों की आशंका को दरकिनार करते हुए जीत का परचम लहरा दिया.

वहीं, भारत को छोड़ चीन का साथ देने वाले मालदीव प्रोग्रेसिव पार्टी के अबदुल्ला यामीन अब्दुल गयूम के तालिबानी शासन को मालदीव की जनता ने नकार दिया. मोहम्मद सोलिह को 1 लाख 33 हजार 808 वोट मिले वहीं यामीन अब्दुल को 95 हजार 526 वोट ही मिले. यामीन ने अपने कार्यकाल के दौरान विपक्षी पार्टियों, अदालतों और मीडिया पर कड़ी कार्यवाही की थी. लेकिन मालदीव के नागरिकों के मताधिकार की ताकत के आगे यामीन को करारी हार का मुंह देखना पड़ा. भारत ने इस जीत का स्वागत करते हुए इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को बधाई दी है. भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है सत्ता परिवर्तन दरअसल, मालदीव में सत्ता की कायापलट भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सोलिह चीन के प्रबल विरोधी हैं. चीन कुछ सालों से मालदीव पर काफी ध्यान दे रहा है क्योंकि इसके जरिए वह हिन्द महासागर में भारत को घेरने की योजना बना रहा है. मालदीव में मोहम्मद सोलिह के कमान सभांलने के बाद भारत और मालदीव के बीच रिश्तों को मजबूती मिलेगी, जिससे चीन के नापाक इरादों पर लगाम लगना तय है.

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