Iran Hijab Protest: इस्लामिक मुल्क ईरान में हिजाब के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूरे मुल्क में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. वहीं, सरकार पर आरोप लग रहा है कि वह इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए कार्रवाई कर रही है, जिससे हालात काफी बिगड़ चुके हैं. सोशल मीडिया पर वायरल खबरों के मुताबिक, ईरान की सरकार ने प्रदर्शन कर रहे 15,000 लोगों को मौत की सजा सुनाई है. इस खबर को सबसे पहले न्यूजवीक अंग्रेजी समाचार वेबसाइट ने चलाया था. फैक्ट चेक में आज हम आपको इस खबर की सारी सच्चाई बता रहे हैं. 


15,000 प्रदर्शनकारियों को मृत्युदंड की सजा ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया. दुनियाभर के कई देशों ने इस खबर पर ईरान की कड़े शब्दों में निंदा की. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अपने एक ट्वीट में लिखा कि ईरान सरकार की ओर से 15,000 प्रदर्शनकारियों को मृत्युदंड देने वाले बर्बर फैसले की कनाडा निंदा करता है. हालांकि, बाद में उन्होंने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया. वहीं, न्यूजवीक ने भी अपनी खबर में सुधार कर दिया. 


बता दें कि तेहरान पुलिस ने 13 सितंबर को महसा अमीनी नाम की एक महिला को सही से हिजाब नहीं पहनने के जुर्म में गिरफ्तार किया था. 3 दिन बाद पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई थी. जिसके बाद से पूरे मुल्क में हिजाब के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की ओर से बल प्रयोग करने की खबरें सामने आ रही हैं. न्यूजवीक की खबर ने पूरी दुनिया में सनसनी मचा दी. बाद में उसने भी आंकड़ों को हटा दिया.


15,000 प्रदर्शकारियों को फांसी वाले दावे में कितनी सच्चाई?


दरअसल, दुनियाभर के तमाम मानवाधिकार संगठनों और मीडिया संगठनों का दावा है कि ईरान में हिजाब के विरोध में चल रहे हिंसक प्रदर्शनों में 15,000 के करीब लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसमें 350 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की बात भी कही जा रही है. गिरफ्तार किए गए कुछ प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा भी सुनाई गई है. हालांकि, यह आंकड़ा 15,000 के आसपास नहीं जाता. 


15,000 लोगों को मृत्युदंड की कहानी कहां से आई?


अब सवाल यह उठता है कि 15,000 लोगों को फांसी देने की बात वाली कहानी कहां से आई? दरअसल 15,000 लोगों को मृत्युदंड देने की बात ईरान के 290 में से 227 सांसदों के साइन किए गए एक बयान से निकली है, इसमें कहा गया है कि 'मुहारेबेह' (ईश्वर के खिलाफ युद्ध छेड़ने) में शामिल लोगों के प्रति सख्ती से निपटा जाएगा. इसमें भविष्य के लिए एक उदाहरण सेट करने की बात कही गई है. 


बता दें कि ईरान में 'मुहारेबेह' (ईश्वर के खिलाफ युद्ध छेड़ने) के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान है. ईरान के कानून में इस अपराध के दोषी को मृत्युदंड देने का प्रावधान है. इसीलिए 15,000 लोगों को फांसी की सजा सुनाए जाने वाली गलत खबर की रिपोर्टिंग की गई. वहीं सांसदों के बयान वाला लेटर भी झूठा लगता है क्योंकि लेटर में जिन सांसदों के नाम लिखे हुए हैं, उनमें कुछ अब संसद का हिस्सा नहीं हैं. ईरान की न्यायपालिका ने इस लेटर की प्रमाणिकता को खारिज किया है. 


आखिर कितने लोगों को सुनाई गई फांसी की सजा?


ईरान की न्यायपालिका ने रविवार को पहली मौत की सजा सुनाई थी. जिसे सजा मिली, वो दंगा भड़काने के मामले में दोषी पाया गया था. उस पर 'मुहारेबेह' के अलावा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ अपराध करने के आरोप लगाए गए थे. बुधवार को भी 4 लोगों को मृत्युदंड दिया गया था, ये लोग भी प्रदर्शन में शामिल थे. 


इनमें से दो लोगों को सड़कों पर चाकूबाजी और आगजनी करने के मामले में मृत्युदंड दिया गया जबकि एक पर पुलिस अधिकारी को कार से कुचलकर मारने का आरोप था. वहीं, चौथा शख्स प्रदर्शनकारियों को आगजनी और हिंसा करने के लिए भड़का रहा था. राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित आरोपों में कुछ अन्य लोगों को भी 5 से 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई है. ईरान की न्यायपालिका ने कहा है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में दंगाइयों के खिलाफ 1,000 से अधिक मामले दर्ज हैं. आवश्यकता पड़ने पर सभी मामलों को सार्वजनिक किया जाएगा. 


विरोध-प्रदर्शनों में अभी तक कितने लोग मारे गए?


तकरीबन दो महीनों से ईरान के कई शहरों में हिजाब के विरोध में हिंसक प्रदर्शन चल रहे हैं. इंटरनेट सेवा रोकने के बाद भी प्रदर्शन से जुड़े वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. मंगलवार और बुधवार को देशभर में विरोध प्रदर्शन किए गए और हड़ताल की गई. पुलिस की ओर से इन विरोध प्रदर्शनों में कितने लोग मारे गए, कितने घायल हुए और कितने गिरफ्तार किए गए, इस आंकड़े को अभी तक जारी नहीं किया गया है. हालांकि, सुरक्षाबलों के 40 से अधिक सदस्य मारे जाने की बात कही जा रही है. 


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