इस्लामाबाद: पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर करने को लेकर फाइनांशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की वर्चुअल बैठक 21-23 अक्टूबर को होगी. इस दौरान यह फैसला लिया जाएगा कि मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण के खिलाफ इस्लामाबाद की कार्रवाई की समीक्षा के आधार पर पाक ग्रे सूची से बाहर होगा या नहीं.


पेरिस स्थित आतंकवाद निगरानी संस्था ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल दिया था और इस्लामाबाद से 2019 के अंत तक धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोकथाम के लिए कार्रवाई की योजना को लागू करने को कहा था. हालांकि, बाद में कोविड-19 महामारी के कारण यह समय-सीमा बढ़ा दी गयी.


एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर आने को प्रयासरत पाकिस्तान ने अगस्त में 88 प्रतिबंधित आतंकी समूहों और उनके नेताओं पर वित्तीय पाबंदियां लगा दी थीं. इनमें 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों का साजिशकर्ता और जमात-उद-दावा का सरगना हाफिज सईद, जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम शामिल हैं.


जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखा गया था
इस्लामाबाद द्वारा 14 बिंदुओं को पूरा करने और 13 अन्य लक्ष्यों से चूकने की जानकारी मिलने के बाद, एफएटीएफ ने फरवरी में पाकिस्तान को अपनी 27-सूत्रीय कार्ययोजना को पूरा करने के लिए चार महीने की अतिरिक्त अवधि दी थी. वहीं सरकार ने 28 जुलाई को 27-बिंदु कार्य योजना के 14 बिंदुओं और एफएटीएफ की 40 सिफारिशों में से 10 के पालन को लेकर संसद में सूचना दी.


हालांकि, 16 सितंबर तक संसद के संयुक्त सत्र ने एफएटीएफ द्वारा आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपनी कानूनी प्रणाली को उन्नत करने के लिए लगभग 15 कानूनों में संशोधन किया. डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने एफएटीएफ और उसके संबद्ध समीक्षा समूहों को पहले ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, साथ ही उनके कमेंट का जवाब भी दिया है, जिसमें 13 सरकारी बिंदुओं का पालन करने की बात कही गई है. एजेंसी ने औपचारिक रूप से पाकिस्तान को जून 2018 में 'रणनीतिक कमियों' के कारण ग्रे सूची में रखा था.


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