SpaceX: दुनिया का सबसे अमीर आदमी यानी एलन मस्क इंसानों को अलग-अलग ग्रहों पर बसाना चाहते हैं. मस्क के इस सपने को पूरा करने के लिए उनकी कंपनी स्पेसएक्स ने 'स्टारशिप' नाम का एक सुपर रॉकेट तैयार किया है. शनिवार (18 नवंबर) को इस रॉकेट का टेस्ट किया गया, जो लगातार दूसरी बार फेल रहा. अप्रैल में टेस्ट के दौरान मिली निराशा के बाद इस बार अच्छे की उम्मीद थी. हालांकि, टेस्टिंग के दौरान स्टारशिप अंतरिक्ष तक तो पहुंचा, मगर इससे संपर्क टूट गया.
स्टारशिप सफलतापूर्वक अपने बूस्टर से अलग हुआ. लेकिन थोड़ी देर में बूस्टर में जोरदार धमाका हो गया. इसके बाद भी स्टारशिप अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा था. सुपर रॉकेट को टेक्सास से लॉन्च किया गया था और उसे पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए हवाई के पास समुद्र में उतरना था. हालांकि, स्टारशिप ने लॉन्च के छह मिनट बाद सिग्नल भेजना बंद कर दिया. इसके बाद खबर आई कि जैसे बूस्टर में धमाका हुआ है, वैसे ही स्टारशिप को भी आग के गोले में तब्दील होना पड़ा है.
फेल मिशन से क्या हासिल हुआ?
दरअसल, भले ही ये मिशन फेल हो गया हो, मगर इससे फिर भी बहुत कुछ हासिल हुआ है. अप्रैल में जब टेस्टिंग हुई थी, तो उस वक्त इसने ज्यादा दूरी तय नहीं की थी. हालांकि, इस बार स्टारशिप स्पेस तक पहुंच गया. भले ही टेक्निकल खामियों की वजह से स्टारशिप में धमाका हुआ, लेकिन इसने दिखाया है कि पिछले टेस्ट के दौरान हुई कमियों में सुधार किया गया है. स्पेसएक्स की इस कामयाबी के लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने भी उसे बधाई दी है.
स्पेस वॉच ग्लोबल की एडिटर डॉ एमा गैटी ने कहा कि इस बार टेस्टिंग के दौरान 33 इंजनों ने काम किया. इसकी वजह से स्टारशिप को इतनी ज्यादा ऊंचाई तक जाने में मदद मिली, जिसे फर्स्ट-स्टेज सेपरेशन कहा जाता है. ये सबसे ज्यादा दिलचस्प हिस्सा होता है. स्पेसएक्स इसका ही टेस्ट करना चाहते थे. हालांकि, भले ही इस टेस्ट को कुछ हद तक सफल बताया जा रहा है, मगर स्टारशिप का आसमान में फट जाना इंसानों के लिए एक बड़ा झटका है.
क्यों इंसानों के लिए बड़ा झटका है स्टारशिप का फटना?
दरअसल, एलन मस्क का सपना है कि वह इंसानों को मंगल ग्रह तक ले जाएं और उन्हें वहां पर बसाएं. इसके लिए स्टारशिप रॉकेट का सफल होना बेहद जरूरी है. मंगल ग्रह पर पहली कॉलोनी बसाने के लिए मस्क 100 लोगों को ग्रह पर ले जाना चाहते हैं. ठीक ऐसे ही नासा भी अपने मून मिशन के लिए स्टारशिप पर ही निर्भर है. नासा आर्टेमिस मिशन के जरिए 2025 के आखिर तक एस्ट्रोनोट्स को चांद की सतह पर लैंड कराना चाहती है. लेकिन ये मिशन पहले ही समय से काफी पीछे है.
स्टारशिप अब तक का दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट सिस्टम है. इसके 33 इंजन 77 मेगान्यूटन थ्रस्ट पैदा करते हैं. इंसानों को चांद पर भेजने के लिए 60 और 70 के दशक में जिन रॉकेट्स का इस्तेमाल हुआ था, वो भी स्टारशिप के आगे बौने नजर आते हैं. अगर स्टारशिप को सफलतापूर्वक टेस्ट कर लिया जाता है, तो ये स्पेस का सफर आसान बना देगी. मगर इसका बार-बार फेल होने से इंसानों के लिए स्पेस में बसने का सपना टूटता जा रहा है.
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