भारत के Enforcement Directorate (ED) और मॉरीशस के Financial Crimes Commission (FCC) ने वित्तीय अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गैरकानूनी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए एक अहम समझौता (MoU) किया है. ये समझौता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम की मौजूदगी में हुआ.
इस समझौते का मकसद मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, अवैध फंडिंग और संपत्ति जब्ती जैसे मामलों में दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना है.
वित्तीय अपराधों को लेकर और सख्ती बरतेगा भारतइस समझौते से भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय अपराधों पर सख्ती और अवैध संपत्तियों की बरामदगी के अपने संकल्प को और मजबूत कर रहा है. भारत की ये पहल FATF (Financial Action Task Force) और अन्य वैश्विक एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग फ्रेमवर्क के तहत किए गए वादों के अनुरूप है.
ED ने अबतक 2.6 अरब रुपये की संपत्ति पीड़ितों को दिलाई वापस समझौते के दौरान ED के निदेशक ने बताया कि भारत में Prevention of Money Laundering Act, 2002 (PMLA) के तहत आर्थिक अपराधों की जांच और कार्रवाई को मजबूत किया गया है. इस कानून की धारा 8(7) और 8(8) के जरिए दोषी साबित होने से पहले भी अवैध संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है और पीड़ितों को उनका हक वापस दिलाया जा सकता है. ED ने अब तक 2.6 अरब रुपये की संपत्ति पीड़ितों को वापस दिलाई है.
भारत और मॉरीशस के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग होगा मजबूत समझौते के दौरान ED और FCC के अधिकारियों ने संयुक्त ऑपरेशन, जांच, अभियोजन और डिजिटल फॉरेंसिक तकनीकों के आदान-प्रदान पर चर्चा की. दोनों एजेंसियां डेटा एनालिसिस और डिजिटल सबूत जुटाने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी साझा करने पर सहमत हुई. साथ ही अधिकारियों की ट्रेनिंग और एक्सचेंज प्रोग्राम के जरिए जांच प्रक्रिया को और बेहतर बनाने की बात हुई. इस साझेदारी से केवल वित्तीय अपराधों पर नियंत्रण ही नहीं, बल्कि भारत और मॉरीशस के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग भी मजबूत होगा.
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