Pakistan News: पाकिस्तान में अंदर ही अंदर बहुत कुछ घट रहा है. आर्थिक और राजनीतिक हालात सरकार संभाल नहीं पा रही है. बीते 72 घंटों में पाकिस्तान से जो खबरें आई हैं उससे लग रहा है किसी भी दिन कुछ बड़ा घटनाक्रम सामने आ सकता है. पाकिस्तान के प्रमुख प्रांत पंजाब में जो हुआ है वह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लिए ठीक नहीं है. वहां की सुप्रीम कोर्ट ने बीती 27 जुलाई को पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू) के नेता परवेज इलाही पंजाब को नया मुख्यमंत्री बनाने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इससे एक दिन पहले पीएम शहबाज के बेटे हमजा शरीफ को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों से नाराज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने ही देश की सबसे बड़ी अदालत पर निशाना साध दिया और कहा कि उनके प्रति दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है.
पंजाब के नए मुख्यमंत्री परवेज इलाही को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का समर्थन हासिल है. वहीं पाकिस्तान के गृहमंत्री ने चेतावनी दी है कि अगर पंजाब प्रांत में उनका प्रवेश प्रतिबंधित किया गया तो पंजाब में गवर्नर शासन लगाया जा सकता है. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि गवर्नर शासन लगाने के संबंध में मसौदा तैयार किया जा रहा है और उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर इसपर काम शुरु कर दिया है. दरअसल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के जनप्रतिनिधियों ने पंजाब प्रांत में उनके प्रवेश को रोकने की बात कही थी. उसी देखते हुए उन्होंने ये बात कही है.
लेकिन पाकिस्तान की सरकार के लिए पंजाब को लेकर कोई फैसला लेना आसान नहीं है. वहां गवर्नर शासन लागू करने के लिए राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की सहमति लेनी होगी लेकिन वह इमरान खान के खास हैं. ऐसे में वह इस पर राजी होंगे ये दूर की कौड़ी दिख रही है.
इसी साल पाकिस्तान में एक नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम के बाद इमरान खान को प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. इसके बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज शरीफ) के नेता शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाया गया था. लेकिन आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को वह उबारने में पूरी तरह से नाकाम रहे है. पाकिस्तानी रुपये के कीमत डॉलर के मुकाबले 250 के आसपास पहुंच गई है. उसका चालू खाते का घाटा ते वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर चार साल के उच्चस्तर 17.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया है.
पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मिलने वाले कर्ज की दरकार है लेकिन उसके लिए उसको कड़ी शर्तों का पालन करन है जिसमें पेट्रोल-डीजल में दी जाने वाली सब्सिडी सहित तमाम 'रेवड़ियों' को बंद करना है. इसके साथ ही कई मित्र देश भी कर्ज देने को तैयार हैं. लेकिन उनकी नजरें आईएमएफ पर टिकी हैं.
लेकिन पाकिस्तान की सत्ता में काबिज शहबाज शरीफ की पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है. उसके पास सिर्फ सिंध प्रांत की सरकार है. बाकी खैबर और पंजाब में इमरान खान की पार्टी पीटीआई का शासन है. दूसरी ओर पाकिस्तान में संस्थाओं जैसे सुप्रीम कोर्ट, सरकार आपस में भिड़ रही हैं और दायरे से बाहर आकर काम कर रही हैं. दूसरी सेना फिलहाल चुप्पी साधे हुए है लेकिन इस पूरे खेल की शुरुआत वहीं से हुई है.
बीते साल जब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के प्रमुख के पद पर इमरान खान फैज हमीद को बनाए रखना चाहते थे तो सेना प्रमुख बाजवा इसके खिलाफ थे. बताया जा रहा है कि उन्होंने विपक्षी दलों को इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कहा था जिसके बाद इमरान खान की सरकार गिर गई थी. सत्ता गंवाने के बाद भी इमरान खान चुप नहीं बैठे हैं. दूसरी ओर पाकिस्तान पर जिस तरह से आर्थिक दबाव बढ़ रहा है और राजनीतिक अस्थिरत बढ़ती जा रही है ऐसा लग रहा है पड़ोसी मुल्क एक गहरे संकट की ओर जा रहा है.
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