दुनिया जैसे-जैसे आधुनिकता और तकनीक के विकास की ओर बढ़ रही है, उसके साथ दुनिया के कई देशों के सैन्य शक्ति भी तकनीक के माध्यम से आज काफी आगे बढ़ चुकी है. दुनिया के कई देशों ने आज विज्ञान और तकनीक का इस्तेमाल करके इतने घातक और खतरनाक मिसाइलों को विकसित किया है, जो पलक झपकते ही दुश्मन को पूरी तरह से तबाह कर देते हैं. अगर सबसे खतरनाक मिसाइलों की बात की जाए, तो सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक मिसाइल की गिनती कतार में सबसे आगे की जाती है. इस घातक मिसाइल चंद मिनटों में हजारों किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन को पूरी सटीकता से तबाह करने में सक्षम हैं, लेकिन आज हम आपको इन दोनों मिसाइलों के अंतर के बारे में बताने जा रहे हैं.

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कितनी घातक है सुपरसोनिक मिसाइल?

वॉइस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सुपरसोनिक मिसाइल वह मिसाइल होती है, जो आवाज की गति से 2-3 गुना ज्यादा तेज वार करती है. यह मिसाइल बेहद तेज गति के साथ अपने लक्ष्य को भेदने में सक्षम है. इस मिसाइल को सुपरसोनिक मिसाइलों में पारंपरिक जेट इंजन या रॉकेट मोटर का इस्तेमाल किया जाता है, जो इसकी तेज गति के साथ इसकी सटीक मारक क्षमता को भी बढ़ाता है और दुश्मन को चकमा देकर भयानक हमला करती है. भारत और रूस की ओर से संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस मिसाइल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिससे भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए थे और कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था.

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क्या है हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियत?

वॉइस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक, एक हाइपरसोनिक मिसाइल को 5 मैक यानी आवाज की गति से करीब 5 गुना और उससे ज्यादा तेज रफ्तार से हमला करने के लिए डिजाइन किया जाता है, यानि इसकी रफ्तार करीब 6200 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. एक हाइपरसोनिक मिसाइल रडार को आसानी से चकमा देते हुए दुश्मन के ठिकानों पर पल भर में तबाह करने में सक्षम होती है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह बेहद घातक मिसाइल लॉन्च होने के बाद हवा में ही अपनी दिशा भी बदल सकती है.

किन देशों के पास है यह खतरनाक मिसाइल

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के पास हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं. इसके अलावा, रूस, चीन भी हाइपरसोनिक मिसाइलों को विकसित कर रहे हैं. इस लिस्ट में भारत का नाम भी शामिल है. भारत ने प्रोजेक्ट विष्णु के तहत अपनी हाइपरसोनिक मिसाइल ET-LDHCM को विकसित किया है.

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