Climate Change: सितंबर के महीने में विनाशकारी बाढ़ ने दुनिया के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई है. भारी बरसात के कारण अब तक लीबिया, ग्रीस, तुर्किए , ब्राज़ील,  स्पेन, दक्षिणी चीन, हांगकांग और दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका के कुछ हिस्से जलमग्न हो गए हैं. इनमें कुछ देशों की हालत बाढ़ के कारण बेहद बदतर हो गई है. ऐसे में यह आपदाएं दुनिया भर के मौसम विज्ञानी और जलवायु वैज्ञानिकों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है. 


 एक तरफ जहां डेनियल तूफान के कारण लीबिया, ग्रीस और तुर्किए  में बाढ़ ने जमकर कहर बरपाया है. वहीं, एक चक्रवात ने ब्राजील में तबाही मचाई है. साथ ही टाइफून हाइकुई के कारण हांगकांग और चीन में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. इन सभी आपदाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देखा जा रहा है.  मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है. 


जलवायु परिवर्तन और बाढ़


मौसम विज्ञानी और जलवायु वैज्ञानिक दोनों ही, एक बार फिर इसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून के तौर-तरीके में बदलाव आया है.  भूमि और समुद्र दोनों के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे हवा में लंबे समय तक नमी बनाए रखने की क्षमता बढ़ गई है.


वैज्ञानिकों का कहना है कि उच्च तापमान के साथ अधिक वाष्पीकरण होता है, जिसका अर्थ है कि गर्म वातावरण अधिक नमी धारण कर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि औसत तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के लिए, वातावरण लगभग 7% अधिक नमी धारण कर सकता है. यह तूफानों को और अधिक खतरनाक बना देता है. इससे वर्षा की तीव्रता और अवधि में वृद्धि होती है, जो अंततः गंभीर बाढ़ का कारण बन सकती है. 


नेचर जर्नल की ओर से प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि 2002 के बाद से, भारी बारिश का बढ़ते तापमान के साथ गहरा संबंध रहा है. इसमें यह भी कहा गया है कि बढ़ते तापमान के साथ, ग्रह एक ही समय में शुष्क और गीला दोनों हो गया है. ऐसे में गर्म हवा मिट्टी से नमी खींच सकती है, जिससे उस इलाके में सूखा पड़ा है. दूसरी ओर,गर्म  हवा अधिक नमी धारण कर सकती है, जिससे गीले क्षेत्र में अधिक बारिश हो सकती है. और बाढ़ की स्थिति बन सकती है.


तेजी से बढ़ रहा है समुद्र स्तर 


 ग्रिस्ट पत्रिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, उच्च वैश्विक तापमान के परिणामस्वरूप ग्लेशियर और बर्फ की चादरें पिघल रही हैं, जिससे समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है, जिससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. एनओएए क्लाइमेट की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 1880 के बाद से वैश्विक औसत समुद्र स्तर लगभग 21-24 सेंटीमीटर बढ़ गया है. 


लीबिया में आई है विनाशकारी बाढ़ 


गौरतलब है कि सितंबर में ही लीबिया में आई विनाशकारी बाढ़ के कारण अब तक करीब 10000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. आपदा से सबसे अधिक प्रभावित पूर्वी लीबिया का डेरना शहर है. जहां अभी भी हजारों लोगों को तलाशने का काम जारी है. वहीं, सितंबर के पहले हफ्ते में दक्षिणी ब्राजील में चक्रवात के कारण आई बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई है. बाढ़ में कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई और 2300 लोग बेघर हो गए हैं. 


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