चीन में इंजेक्शन के जरिए लगाई जानेवाली कोविड-19 वैक्सीन के बजाए सांस के जरिए दी जानेवाली कोविड-19 वैक्सीन का मानव परीक्षण अगले सप्ताह शुरू होने जा रहा है. मानव परीक्षण करने वाली कंपनी कैनसिनो बॉयोलोजिक्स के सह संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी शियूफेंग यू ने रविवार को एलान किया. चीन की अन्य कोविड-19 वैक्सीन का प्रभावी दर फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना की विकसित वैक्सीन के मुकाबले कम है.


चीन में सांस के जरिए दी जानेवाली कोविड-19 वैक्सीन का मानव परीक्षण जल्द


अप्रैल के शुरू में चीन के सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल के डायरेक्टर ने सार्वजनिक स्वीकार किया था कि चीनी वैक्सीन से मिलनेवाली 'सुरक्षा की दर बहुत ज्यादा नहीं है' और वैक्सीन के असर को बढ़ाने के लिए विभिन्न कोविड-19 वैक्सीन का इस्तेमाल करते हुए डोज मिलाने जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. यू ने बताया कि सांस के जरिए खींची जानेवाली वैक्सीन इंजेक्ट की जानेवाली वैक्सीन से ज्यादा असरदार हो सकती है क्योंकि वैक्सीन उस रास्ते से इंसानी शरीर में दाखिल होगी जहां से कोरोना वायरस गुजरता है.


कैनसिनो बॉयोलोजिक्स संयुक्त रूप से सांस के जरिए इस्तेमाल की जानेवाली वैक्सीन का विकास बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के साथ कर रही है. इससे पहले कंपनी की इंजेक्शन के जरिए दी जानेवाली कोविड-19 वैक्सीन Ad5-nCoV को चीन और कई अन्य मुल्कों में इस्तेमाल के लिए पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. कंपनी के सीईओ ने स्पष्ट किया कि सैद्धांतिक रूप से मुंह के जरिए इस्तेमाल होनेवाली वैक्सीन अतिरिक्ति सुरक्षा एंटी बॉडीज या टी सेल्स को सक्रिय कर उपलब्ध करा सकेगी.


कैनसिनो बॉयोलोजिक्स बना चुकी है Ad5-nCoV नाम से कोविड वैक्सीन  


उन्होंने ये भी बताया कि अगर सुरक्षा का लेयर नाकाम हो जाए और वायरस शरीर में गहराई तक पहुंच जाए, तो इम्यून सिस्टम के अन्य अंग फिर भी वायरस के खिलाफ लड़ सकेंगे. उनका कहना था कि इस तरह लोगों को ज्यादा सुरक्षा मिल सकेगी और इसलिए हमने वैक्सीन की तैयारी का फैसला किया. सीईओ ने बताया कि कंपनी ने वैक्सीन की तैयारी के लिए वही रणनीति अपनाया है जो मुंह के जरिए दी जानेवाली टीबी की वैक्सीन की तैयारी के लिए इस्तेमाल होती है.


कैनसिनो का सिंगल डोज इंजेक्शन के जरिए दी जानेवाली कोविड-19 वैक्सीन पाकिस्तान, मेक्सिको, हंगरी, चीन समेत कई मुल्कों में इस्तेमाल के लिए मूंजर की जा चुकी है. कंपनी ने कहा कि विदेशों में हुए मानव परीक्षण के तीसरे चरण का अंतरिम डेटा से पता चला कि वैक्सीन कोविड-19 के सिम्पटोमैटिक लक्षण को रोकने में एक इंजेक्शन के दो सप्ताह बाद 68.83 फीसद असरदार साबित हुई, हालांकि बाद में प्रभावी दर चार सप्ताह बाद गिर कर 65.28 फीसद हो गया.


उसकी तुलना में फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन संक्रमण को रोकने में 91 फीसद, जबकि मॉडर्ना ने कहा कि उसकी वैक्सीन दूसरे डोज के छह महीने बाद 90 फीसद से ज्यादा असरदार साबित रही. यू ने कहा कि कैनसिनो ने पहले इंजेक्शन के छह महीने बाद बूस्टर डोज लगाने पर रिसर्च किया है, जिससे कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स को बेहतर किया जा सके.


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