जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज कोविड-19 वैक्सीन को अमेरिका में मंजूरी के बाद अब कंपनी ने बड़ा एलान किया है. उसने शिशुओं से लेकर 18 साल की उम्र तक के बच्चों पर वैक्सीन का मानव परीक्षण करने का इरादा जाहिर किया है. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, कंपनी ने अमेरिकी सरकार को बताया है कि वैक्सीन का मानव परीक्षण प्रेगनेन्ट महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी सिस्टम वाले लोगों पर भी किया जाएगा.


जॉनसन एंड जॉनसन का कोविड-19 वैक्सीन के हवाले से बड़ा कदम


जॉनसन एंड जॉनसन की इकाई जानसीन बायोटेक वैक्सीन का निर्माण कर रही है. उसके एक प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि कंपनी ने बच्चों पर मानव परीक्षण को विस्तार देने का मंसूबा बनाया है. ये पहली बार है जब किसी कंपनी ने शिशुओं पर किसी वैक्सीन के मानव परीक्षण करने का एलान किया है. मानव परीक्षण शुरू करने से पहले जॉनसन एंड जॉनसन सुरक्षा और इम्यून रिस्पॉन्स का विश्लेषण करेगी.


फाइजर और मॉडर्ना की कोविड-19 वैक्सीन अभी व्यस्कों को लगाई जा रही है. उनका इरादा धीरे-धीरे छोटे उम्र वाले लोगों पर परीक्षण करने का है. अभी उनकी वैक्सीन का 12 साल के बच्चों पर परीक्षण किया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी के आखिर में जॉनसन एंड जॉनसन ने अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को बताया कि कंपनी शिशु से लेकर 18 साल की उम्र के बच्चों में वैक्सीन की सुरक्षा और इम्यूनिटी रिस्पॉन्स को जानने के लिए परीक्षण की इच्छा रखती है.


शिशुओं से लेकर 18 साल की उम्र के बच्चों पर करेगी मानव परीक्षण


उसके अलावा, उसने ये भी कहा था कि एक अलग मानव परीक्षण प्रेगनेन्ट महिलाओं और उनके शिशुओं, एक अलग परीक्षण कमजोर इम्यूनिटी वाले ग्रुप पर भी करने की योजना बनाई जा रही है. वर्तमान में इस्तेमाल की जा रही कोविड-19 की वैक्सीन के विपरीत, जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन पुरानी तकनीक पर आधारित है.


उसने निष्क्रिय एडीनोवायरस पर भरोसा जताया है जो सामान्य जुकाम का कारण बनता है. उसमें ऐसा बदलाव किया गया है जो कोशिकाओं को कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन की नकल बनाने की हिदायत देता है, जिससे एंटी बॉडीज बनती है. कोरोना वायरस को स्पाइक प्रोटीन की जरूरत कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए होती है, ताकि एंटीबॉडीज कोविड-19 को संक्रमण शुरू होने से पहले रोक सके.


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