विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या विश्वनाथन का कहना है कि कोरोना वायरस का म्यूटेंट स्ट्रेन कई देशों में पहले से ही मौजूद हो सकता है. ब्रिटेन में सितंबर में पहली बार इसका पता चला था और ये वायरस के अन्य रूपों की जगह तेजी से ले रहा है. उन्होंने एनडीटीवी चैनल से बात करते हुए कहा, "हालांकि अभी कोरोना वायरस के नए रूप के बारे में किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी."


कोरोना वायरस का नया रूप कई देशों में हो सकता है


गौरतलब है कि शुरुआती डेटा से पता चला है कि ये 70 फीसदी संक्रामक और तेजी से फैलनेवाला है. डॉक्टर सौम्या विश्वनाथन ने बताया कि ब्रिटेन संपूर्ण जिनोम सिक्वेंस पर काम करनेवाले देशों में से एक है और इसलिए सही समय पर जल्दी पता लगाने में सक्षम हो सका. उन्होंने कहा, "मुझे शक है कि ज्यादातर देश अपने डेटा का परीक्षण करेंगे, तो हो सकता है उन्हें इसका नया रूप या मिलता-जुलता रूप का पता चले जो पहले ही वहां हो सकता है."


WHO ने कहा परीक्षण के नतीजे आने में लगेगा वक्त


उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के अलावा भी कई वायरसों में पूर्व में बदलाव होते रहे हैं मगर ब्रिटेन में सामने आया नया रूप दूसरा उदाहरण हो सकता है. इसलिए हो सकता है कि स्पाइक प्रोटीन में चंद म्यूटेशन इम्यून सिस्टम पर वैक्सीन के रिस्पॉन्स को बदल सके. उन्होंने जानकारी दी कि ब्रिटेन में उजागर हुए नए रूप के मामलों को बेहतर तरीके से समझने के लिए परीक्षण हो रहा है. लेकिन उन्होंने माना कि परीक्षण के नतीजे आने में चंद सप्ताह लग सकते हैं.


फिलहाल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सदस्य देशों को ज्यादा सिक्वेंसिंग करने की सलाह दी है. मुख्य वैज्ञानिक ने कहा कि भारत के पास संपूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग करने की विशाल क्षमता है और उसका पहले से ही वैश्विक डेटाबेस में बहुत ज्यादा योगदान दे रहा है. डॉक्टर स्वामीनाथन ने नए रूप से संक्रमण की रोकथाम के लिए वही उपाय सुझाए जैसा कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए है.


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