कोरोना वायरस की नई किस्म ने दुनिया में हाहाकार मचा दिया है. दुनिया का ध्यान महामारी से हटकर अब नई किस्म पर हो रहा है. संक्रमण से बचाने के लिए ब्रिटेन को सख्त लॉकडाउन लगाना पड़ा. देखते-देखते दुनिया के कई देशों ने ब्रिटेन से आनेवाली उड़ानों को रोक दिया. 40 से ज्यादा देशों ने ब्रिटेन से किसी के आने को बैन कर दिया है.
कोरोना वायरस की नई किस्म से दुनिया में मचा हाहाकार
पिछले सप्ताह मामला सामने आने के बाद सरकार ने सनसनीखेज खुलासा किया. उसने बताया कि कोरोना वायरस की नई किस्म 70 फीसद ज्यादा संक्रामक और तेजी से फैलनेवाली है. वैज्ञानिकों का कहना है कि हालांकि कोरोना वायरस आम तौर से मौसमी फ्लू के जिम्मेदार वायरस की तरह तेजी से रूप नहीं बदलते हैं मगर महामारी काल में उन्होंने कुछ बदलावों का पता लगाया है.
लंदन में दिसंबर के दूसरे सप्ताह में नए रूप के कारण संक्रमण के मामलों की संख्या 62 फीसद थी जबकि इससे तीन सप्ताह पहले संक्रमण के 28 फीसद मामले उजागर हुए थे. स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने उसे 'बेकाबू' बताया. ब्रिटेन में नए रूप के मामले से चिंता इसलिए भी बढ़ गई कि मरीजों के सैंपल से पता चला कि नया रूप नए संक्रमण की संख्या को बेतरतीब ढंग से बढ़ा रहा है.
बड़े पैमाने पर कोविड-19 वैक्सीन की उपलब्धता से चंद महीने पहले नए रूप की खोज से महामारी के दौर में नई दहशत पैदा हो गई है. हालांकि, अभी इस बात के सबूत नहीं मिले हैं जिससे साबित किया जा सके कि ये ज्यादा घातक है या ज्यादा गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है या नए रूप के खिलाफ वैक्सीन कम प्रभावी होगी.
कोविड-19 की गंभीरता में बढ़ोतरी के सबूत शून्य-WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन प्रमुख डॉक्टर माइकल रियान ने कहा, "हाल में उजागर हुए मामले से कोविड-19 की गंभीरता में बढ़ोतरी के शून्य सबूत हैं." हालाकिं उन्होंने ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री के दावे के विपरीत नए रूप को बेकाबू नहीं माना. अमेरिका में महामारी रोग के सबसे बड़े विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फाउची ज्यादा प्रतिक्रिया देने से बचते हुए नजर आए.
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानों को अपनी चपेट में लेने के लिए कोरोना वायरस अब भी लगातार खुद को बदल रहा है. उसने अब तक 25 बार अपना रूप बदला है. ज्यादातर बदलाव से कोई फर्क नहीं आता और ये एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. वायरस स्पाइक प्रोटीन का इस्तेमाल हमारे शरीर की कोशिशकाओं को हाइजैक करने के लिए करता है.
बोस्टन कॉलेज में वैश्विक स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़े निदेशक डॉक्टर फिलिप लैंड्रिगन ने कहा, "ज्यादातर बदलाव मामूली होते हैं. ये सिर्फ जेनेटिक अल्फाबेट में एक या दो शब्दों का बदल जाना है. इसका बीमारी का कारण बनने की क्षमता में बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है." मगर चिंताजनक स्थिति का बड़ा कारण उस वक्त होता है जब वायरस अपनी सतरह पर प्रोटीन को बदलकर रूप बदल लेता है जिससे दवाइयों या इम्यून सिस्टम से बचाव में मदद कर सके.
कोरोना वायरस के नए रूप का पता पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के जिनोमिक सर्विलांस से चला था. एजेंसी ने 18 दिसंबर को नए स्ट्रेन की गंभीरता पर ब्रिटिश सरकार को सूचित किया और सरकार ने अपनी खोज को उसी दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले कर दिया.