Chinese Weapons Updates : ईरान-इजरायल युद्ध के दौरान चीन के हथियारों की पोल खुल गई. ईरान ने इजरायल के ऊपर जितनी भी मिसाइलें दागी थीं, उनमें से 50 प्रतिशत लॉन्च होने और लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहीं. अब पूरी दुनिया को पता चल गया कि चीन की रक्षा तकनीक कितनी फिसड्डी है. दरअसल, इस्फान के पास ईरान में सबसे बड़ी मिसाइल फैक्ट्री चीन की मदद से बनाई गई थी. चीन ने तेहरान में एक बैलिस्टिक मिसाइल प्लांट और परीक्षण रेंज बनाने में भी ईरान की मदद की. अब चीन की मदद से बनी ये मिसाइलें ही चल नहीं पाईं.


लक्ष्य तक पहुंचने में रहीं विफल
13 अप्रैल को ईरान ने इजरायल के ऊपर हमला किया था. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो करीब 50 फीसदी ईरानी मिसाइल लॉन्च होने और लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहीं, जिसने ईरान को दी गई चीनी मिसाइल तकनीक की पोल खोल दी. अब चीन की रक्षा तकनीक भी सवालों के घेरे में है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि ईरान ने इजरायल के खिलाफ 170 ड्रोनों से 13 अप्रैल को हमला किया और इजरायल ने सभी को रोक दिया. वहीं, 120 में से 108 बैलिस्टिक मिसाइल थी, जिनको प्रभावहीन कर दिया गया. साथ ही 30 क्रूज मिसाइलों को भी इजरायल ने रोक दिया. 


पाकिस्तान, म्यांमार समेत कई देश चीन पर निर्भरता कर रहे कम


द स्ट्रैटेजिक स्टडीज इंस्टीट्यूट की मानें तो कुछ वर्षों में चीन से ईरान ने हथियारों का आयात कम कर दिया. इसकी बड़ी वजह भी यही है. ईरान को भी लगता है कि चीनी हथियारों में गुणवत्ता की कमी है. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान, नाइजीरिया, म्यांमार और थाईलैंड जैसे कई और देशों ने गुणवत्ता में कमी को महसूस किया है. ऐसे में अब ये देश भी अपनी सैन्य जरूरतों के लिए चीन पर निर्भरता कम कर रहे हैं.


दरअसल, चीन अपने फायदे के लिए हमास जैसे आतंकी संगठनों को भी सहायता प्रदान करता है. हमास ने जिस एम-302 रॉकेट का इस्तेमाल किया था, वो भी चीन द्वारा डिजाइन किया गया था. हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में जो मिसाइलों इस्तेमाल कीं, उनका भी चीनी लिंक से है. अब दुनियाभर में चीन की रक्षा तकनीक को लेकर चर्चा चल रही है।