IAEA's 66th General Conference: भारत (India) ने एक बार फिर से चीन (China) के सभी पैंतरों को नाकाम कर दिया है. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की बैठक में एक बार फिर चीन को मुंह की खानी पड़ी, जब भारत की कूटनीति के आगे उसकी एक न चली. ऑस्ट्रेलिया-ब्रिटेन और अमेरिका के संयुक्त ग्रुप AUKUS के खिलाफ चीन अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) में एक प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा था, लेकिन भारत समेत अन्य देशों की कोशिश से यह प्रस्ताव IAEA की जनरल कॉन्फ्रेंस में पारित नहीं हो पाया. 


बता दें, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) का सामान्य सम्मेलन 26 से 30 सितंबर 2022 तक वियना में आयोजित किया गया था. चीन ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियां देने की मांग के लिए AUKUS के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करने की कोशिश की थी. चीन ने तर्क दिया कि यह पहल परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के तहत उनकी जिम्मेदारियों का उल्लंघन है. 


भारत ने किया कुशल कूटनीति का इस्तेमाल 


इतना ही नहीं चीन ने इस मामले में IAEA की भूमिका की भी आलोचना की. इन सबके बीच भारत ने एक अहम भूमिका निभाई और चीन के इस प्रस्ताव को लेकर अपनी कुशल कूटनीति का इस्तेमाल कर कई छोटे देशों को इस प्रस्ताव के खिलाफ किया. चीन को जब मालूम हो गया कि भारत के होते हुए इस प्रस्ताव को बहुमत का समर्थन नहीं मिलेगा तब उसने अपना यह प्रस्ताव 30 सितंबर को वापस ले लिया. 


कई देशों ने की भारत की तारीफ 


अब भारत की चतुर और प्रभावशाली कूटनीति की IAEA के सदस्य देशों, विशेष रूप से AUKUS भागीदारों द्वारा सराहना की जा रही है. इस कदम की कई देशों ने तारीफ की है. ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका ने चीन का सामना करने के लिए 2021 में AUKUS नाम से एक सुरक्षा साझेदारी की स्थापना की थी, जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को बनाया जाना है. इसी के चलते चीन AUKUS के खिलाफ IAEA में प्रस्ताव पारित करना चाह रहा था. 


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