चीन ने अपनी वायुसेना से जुड़ा एक ऐसा वीडियो सार्वजनिक किया है, जिसने दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञों का ध्यान खींच लिया है. इस वीडियो में चीनी फाइटर जेट J-16 को फ्रांस के अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान के खिलाफ सिमुलेशन युद्धाभ्यास करते हुए दिखाया गया है. हैरानी की बात यह है कि इस अभ्यास को चीन के सरकारी टेलीविजन चैनल CCTV पर खुद प्रसारित किया गया.
आमतौर पर चीन अपने सैन्य अभ्यासों और युद्ध रणनीतियों को बेहद गोपनीय रखता है. ऐसे फुटेज बहुत कम ही सार्वजनिक किए जाते हैं और जब भी सामने आते हैं, वे अक्सर लीक के जरिए होते हैं. चीन का खुद सरकारी चैनल पर इस सिमुलेशन को दिखाना यह संकेत देता है कि चीन इसे रणनीतिक संदेश के तौर पर पेश करना चाहता है.
कहां और किस मकसद से हुआ यह अभ्यास
CCTV की रिपोर्ट के अनुसार यह सिमुलेशन अभ्यास हेनान प्रांत के शुचांग इलाके में किया गया. इसे पीएलए एयर फोर्स के व्यापक युद्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बताया गया है. इस अभ्यास में 8 चीनी J-16 लड़ाकू विमानों को 6 राफेल फाइटर जेट के खिलाफ परखा गया.
भारत-पाक तनाव के बाद क्यों बढ़ी इसकी अहमियत
मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े सैन्य तनाव के दौरान राफेल और चीनी मूल के लड़ाकू विमानों को लेकर काफी चर्चा हुई थी. पाकिस्तान की तरफ से J-10C के इस्तेमाल और चीन के दावों के बाद यह सिमुलेशन सामने आना कई सवाल खड़े करता है. रक्षा जानकारों का मानना है कि चीन अपने फाइटर जेट्स की क्षमता दिखाकर वैश्विक हथियार बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है.
वीडियो में क्या दिखाया गया
टीवी पर दिखाए गए फुटेज में चीनी वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी एक बोर्ड के सामने खड़े नजर आते हैं. बोर्ड पर साफ लिखा है कि अभ्यास में J-16 विमानों को राफेल जैसे आधुनिक खतरे के खिलाफ परखा जा रहा है. अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया कि इस सिमुलेशन में अन्य संभावित खतरों को भी शामिल किया गया था, हालांकि उनकी जानकारी साझा नहीं की गई.
J-16 को क्यों मानता है चीन अपनी ताकत
J-16 चीन का भारी और दो इंजन वाला 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. यह लंबी दूरी तक उड़ान भरने, ज्यादा हथियार ले जाने और एक साथ कई मिशन अंजाम देने में सक्षम माना जाता है. चीन इसे अपने एयर डिफेंस और स्ट्राइक मिशनों की रीढ़ के रूप में पेश करता रहा है.
राफेल से मुकाबला क्यों है बड़ी बात
राफेल दुनिया के सबसे आधुनिक मल्टीरोल फाइटर जेट्स में गिना जाता है. इसकी पहचान तेज प्रतिक्रिया, उन्नत रडार सिस्टम और शक्तिशाली इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताओं से होती है. यही वजह है कि भारत समेत कई देश इसे अपनी वायुसेना का अहम हिस्सा बना चुके हैं. राफेल की आंशिक स्टील्थ क्षमता और बहु-भूमिका संचालन इसे बेहद खतरनाक बनाते हैं.
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