China People's Daily Newspaper: चीन में शी जिनपिंग की तानाशाही की खबरें आए दिन सामने आती हैं. तानाशाह जिनपिंग देश में ऐसे कई फैसले लेते हैं, जिनका मकसद सिर्फ राजनीतिक होता है और आम लोगों से इसका कोई लेना-देना नहीं होता. चीन में लागू की गई जीरो कोविड पॉलिसी इसी का एक उदाहरण है. अब चीन से एक ऐसी खबर सामने आई है जो काफी हैरान कर देने वाली है. यहां पीपुल्स डेली अखबार की लाखों कॉपियों को छपने के बाद वापस ले लिया गया, इतना ही नहीं सभी हॉकर्स को भी सख्त हिदायत दी गई कि वो इन्हें भूलकर भी ना बांटें. ये पूरा मामला क्या है आइए जानते हैं. 


फॉरेन पॉलिसी में डिप्टी एडिटर जेम्स पाल्मर ने इस पूरी घटना को लेकर एक आर्टिकल लिखा है. जिसमें बताया गया है कि कैसे चीन में राष्ट्रपति या किसी बड़े राजनेता को लेकर हुई एक गलती अखबारों के तमाम बड़े एडिटर्स की नौकरियां ले सकती है. 


क्यों वापस लेनी पड़ी अखबार की लाखों कॉपियां?
चीन में पीपुल्स डेली को सरकार का मुखपत्र माना जाता है, यानी ये सरकार के अधीन काम करता है. 30 मार्च को एक छोटी सी राजनीतिक गलती के चलते इस अखबार की लाखों कॉपियां वापस ले ली गईं. चीन ने इसे स्लिप-अप का नाम दिया. जब कोई भी चीज आधिकारिक तौर पर सरकार के खिलाफ जाती है तो इसे इस नाम से संबोधित किया जाता है. कहा गया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम जिस पैरा में लिखा होना चाहिए था वो नहीं लिखा गया, इसीलिए तुरंत अखबार की सभी कॉपियों पर रोक लगाने का आदेश जारी हुआ. जो सेंटेंस मिसिंग था उसे कुछ इस तरह लिखा जाना था- "कॉमरेड शी जिनपिंग के साथ केंद्र सरकार स्थिति का आकलन करती है."


पीपुल्स डेली अखबार और इसकी वेबसाइट चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के तहत काम करता है. इसे न्यूजस्टैंड पर बेचा जाता है और विश्वविद्यालयों, पार्टी कार्यालयों और अन्य संस्थानों में भी बांटा जाता है. जब अखबार में शी जिनपिंग के नाम को लेकर गलती नजर आई तो इसके बाद तमाम विक्रेताओं और आधिकारिक हॉकर्स को नोटिस जारी कर दिए गए, जिसमें कहा गया कि इस आपत्तिजनक सामग्री को तुरंत रोक दें और इसे नष्ट कर दें. 


छोटी गलती भी हो जाती है खतरनाक
फॉरेन पॉलिसी के आर्टिकल में बताया गया है कि चीनी नेताओं के बारे में छोटी-छोटी गलतियां भी काफी खतरनाक साबित हो जाती हैं. लिखी जाने वाली चीनी भाषा में अगर किसी नाम को अनजाने में भी गलत जगह पर रखकर लिखा जाता है तो ये अपमानजनक हो सकता है. क्योंकि हर शब्द के कई संभावित अर्थ होते हैं. इसीलिए चीन में अखबारों के संपादक तीन बार इस बात को चेक करते हैं कि बड़े नेताओं के नाम में किसी भी तरह की कोई गलती न हो. नाम के बीच में स्पेस रह जाना भी इसका मतलब बदल सकता है. इसीलिए इसका खास खयाल रखा जाता है. 


संपादकों के खिलाफ होगा एक्शन
आर्टिकल में बताया गया है कि शी जिनपिंग के नाम को अखबार में शामिल नहीं करना इतनी बड़ी गलती है कि इसके लिए संपादकों की नौकरी जा सकती है, या फिर उन्हें पद से हटाया जा सकता है, नहीं तो उन पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है. क्योंकि चीन में ऐसा होता आया है. इस घटना के बाद एक बार फिर सभी अखबारों के संपादक कर्मचारियों को बता रहे हैं कि वो इस तरह की कोई गलती न करें. कहा जाता है कि रोमानियाई अखबारों में कुछ कर्मचारियों को नौकरी पर सिर्फ इसलिए रखा गया था कि तानाशाह निकोले सीयूसेस्कु के नाम की वर्तनी हमेशा सही हो. अब चीनी अखबारों के लिए भी यही संकेत दिए जा रहे हैं. 


शी जिनपिंग की मौजूदा स्थिति की बात करें तो वो चीन में काफी ताकतवर तो हैं, लेकिन कुछ हद तक अस्थिर भी दिख रहे हैं. उनकी जीरो कोविड पॉलिसी और आर्थिक फैसलों को लेकर लगातार संदेह बना हुआ है. जिनपिंग इससे पिछले काफी वक्त से जूझ रहे हैं. जबकि सुरक्षा सेवाओं, पार्टी और मीडिया पर उनका लगभग अभूतपूर्व नियंत्रण है. 


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