जो देश कभी भारत की बीमारी था अब वह अपने मरीजों के लिए भारत की ओर उम्मीद से देख रहा है. यहां बात ग्रेट ब्रिटेन की  हो रही है. इस साल ब्रिटेन से लगभग 12 हजार अंग्रेज अपना इलाज करवाने भारत आने वाले हैं. अभी तक ब्रिटेन के करीब 3 हजार मरीज अपना इलाज करावाने के लिए भारत पहुंच चुके हैं. हर साल ये आंकड़ा बढ़ रहा है.


पिछले साल के मुकाबले इस साल 10 गुना ज्यादा अंग्रेज भारत आने वाले हैं. पिछले साल सिर्फ 1200 ब्रिटेनवासी इलाज के लिए भारत आए. यह आंकड़ा इस साल बढ़कर12 हजार से  पार होने वाला है. हर किसी के दिमाग में यह सवाल होगा कि ब्रिटेन जैसे विकसित देश के लोग भारत क्यों इलाज करवाने के लिए आ रहे हैं. दुनिया के कोने कोने से लोग वहां इलाज के लिए जाते हैं, दुनियाभर के इलाज की खोज वहां होती है. ब्रिटेन में ऐसा क्या हो गया कि वहां के मरीज भारत आ सकते हैं.


ब्रिटेन में बढ़ रही मरीजों की वेटिंग लिस्ट
भारत और ब्रिटेन के करीब एक दर्जन एसोसिएशन ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मिले हैं. उन्हें एक प्रस्ताव दिया है कि ब्रिटेन में इलाज की वेटिंग लिस्ट वाले मरीज भारत आएं और अच्छा इलाज करवाएं. कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री CII और यूके इंडिया बिजनेस फोरम भी इस एसोशिएशन में शामिल हैं.


ब्रिटेन से इलाज कराने क्यों आ रहे लोग?
सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ब्रिटेन के लोगों को इलाज के लिए भारत क्यों आना पड़ रहा है? पिछले 6 महीने से ब्रिटेन के डॉक्टर और नर्स 8 बार हड़ताल पर गए और इसी के चलते मरीजों की वेटिंग लिस्ट 70 लाख तक पहुंच चुकी है. ब्रिटेन में फिलहाल 15 हजार डॉक्टरों की कमी है. ऐसे में सस्ते और बेहतर इलाज के लिए ब्रिटेन के मरीज भारत आ रहे हैं. दुनिया भर में सबसे सस्ता और अच्छा इलाज भारत में ही है.


यूएस और ब्रिटेन के मुकाबले भारत में कितना सस्ता है इलाज?
बाजार में मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, हार्ट बायपास सर्जरी का खर्चा ब्रिटेन में 15 लाख रुपए फ्रांस में 13 लाख रुपए, अमेरिका में 14 लाख आता है लेकिन भारत में लगभग 4 लाख रूपए में हार्ट की बायपास सर्जरी हो जाती है. इसके लिए एक और एग्जाम्पल लेते हैं. ब्रिटेन में मोतियाबिंद ऑपरेशन के लगभग 3 लाख 60 खर्च हो जाते हैं. वहीं, फ्रांस में 1 लाख और अमेरिका में सवा दो लाख खर्च होते हैं. भारत में इसके लिए औसतन सिर्फ 60 हजार रुपए का खर्चा आता है.


भारत का नाम दुनिया में दवा निर्माण के लिए प्रसिद्ध है. दवा निर्माण में  दुनिया का तीसरा बड़ा देश है. कोरोना का टीका, जीवन रक्षक दवाएं, हर जगह भारत का नाम है. विदेशी मरीजों के इंडेक्स में भारत का दसवां नंबर है. अगले दस साल में विदेशी मरीजों से तीन लाख साठ हजार करोड़ रुपए की कमाई हो सकती है. ब्रिटेन से आने वाले अंग्रेज मरीज भी उसी का हिस्सा होंगे. 


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