अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर शुक्रवार (26 सितंबर 2025) को बड़ी संख्या में बांग्लादेशी प्रवासी समुदाय के लोग इकट्ठा हुए और बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यूनुस के सत्ता संभालने के बाद से ही बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं. उन्होंने पाकिस्तान वापस जाओ तक के नारे लगाए, जो प्रवासी समुदाय के गुस्से को साफ दिखा रहा था.

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प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार को हटाने के बाद से हालात बिगड़ गए हैं. अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों पर हमले तेज हो चुके हैं. कई लोगों को हिंसा की वजह से देश छोड़ना पड़ा. क प्रदर्शनकारी ने कहा, “यूनुस बांग्लादेश को चरमपंथ की ओर धकेल रहे हैं, हालात ऐसे हैं जैसे तालिबानी शासन हो.”

पीड़ितों और मांगों की आवाज

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को यूनुस सरकार ने गैरकानूनी रूप से जेल में बंद किया है. अल्पसंख्यकों की लगातार हत्या और उत्पीड़न किया जा रहा है. लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई हसीना सरकार को हटाकर, यूनुस ने सत्ता पर कब्जा किया. उनकी मांग है कि यूनुस पद छोड़कर स्वतंत्र चुनाव करवाएं और गिरफ्तार धार्मिक नेताओं को तुरंत रिहा किया जाए.

शेख हसीना की सरकार और सत्ता परिवर्तन का विवाद

प्रदर्शनकारियों ने याद दिलाया कि 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सरकार को अवैध रूप से हटाया गया था. उनका कहना है कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को गिराकर बांग्लादेश को इस्लामी ताकतों और आतंकवादी संगठनों के हाथों सौंप दिया गया.

संयुक्त राष्ट्र में यूनुस का पक्ष

संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में मोहम्मद यूनुस ने कहा, ''बांग्लादेश ने हाल ही में जन-विद्रोह देखा था और हम अब बदलाव की यात्रा पर हैं." उन्होंने बांग्लादेशी प्रवासी श्रमिकों की अहम भूमिका पर जोर दिया. यूनुस ने मेजबान देशों से अपील की कि प्रवासियों को सहानुभूति और सुरक्षा दी जाए.

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