बांग्लादेश में जिस तरह के हालात हैं, उसकी वजह से भारत में भी लोगों के अंदर नाराजगी देखी जा रही है. चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद से बांग्लादेश में हिंसा में बढ़ोतरी देखी जा रही है. खासतौर से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू युवक को जिस बर्बरता के साथ मौत के घाट उतारा गया और फिर उसके शव को आग के हवाले किया गया, इसकी खूब आलोचना हो रही है.

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इस बीच पूर्व डिप्लोमैट महेश कुमार सचदेव ने बांग्लादेश के हालात को लेकर आईएएनएस के साथ खास बातचीत की है. भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव को लेकर पूर्व राजनयिक महेश कुमार सचदेव ने कहा, '12 फरवरी को होने वाले चुनाव से पहले कुछ समय के लिए तनाव हो सकता है, लेकिन लंबे समय में, अच्छे पड़ोस और ठोस आर्थिक तालमेल का लॉजिक दोनों देशों के रिश्तों को बनाए रखेगा.'

उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश और भारत के बीच रिश्ता ऐतिहासिक है. दोनों ही दक्षिणी एशिया के इलाके का हिस्सा हैं, और दोनों देशों के लोगों के बीच गहरी दोस्ती है, लेकिन अभी कुछ चुनौतियां हैं. मैं इसे इसी नजरिए से देखता हूं, और मेरे हिसाब से, ये चुनौतियां कुछ समय के लिए हैं, और ये राजनीतिक वजहों से हैं. उम्मीद है कि ये जल्द ही हल हो जाएंगी.'

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दोनों देशों के बीच इस तनाव के असर को लेकर महेश कुमार सचदेव ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि लंबे समय में कोई बड़ी समस्या होगी, लेकिन शॉर्ट टर्म में साफ है कि यह तनाव है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता. शेख हसीना पहले भारत को समर्थन करती थीं और वह लंबे समय तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही हैं. उनके निर्वासन को लेकर ये हुआ है, क्योंकि वह भारत में हैं और उनके विरोधी इस समय सत्ता में हैं, या सत्ता के करीब हैं क्योंकि बांग्लादेश में 12 फरवरी को चुनाव होने हैं इसलिए, राजनीतिक कारणों से भारत विरोध की लहर चल रही है, जो कि काफी निंदनीय है. ऐसे लोग गैर-जिम्मेदाराना तरीके से बर्ताव कर रहे हैं. वे अपने ही देश में हालात को और मुश्किल बना रहे हैं. चाहे वह समाज हो या उनका धर्मनिरपेक्षता की नीति का विरोध हो.'

कुमार सचदेव ने कहा, 'वो दिखाना चाहते हैं कि जो भारत है, बांग्लादेश उसका उल्टा है. यह बड़ा ही सहज तरीका है, क्योंकि उनके पास उपलब्धियों के नाम पर बहुत कम चीजें हैं. उनके पास नकारात्मक उपलब्धियां हैं और जनअसंतोष को विपरीत करने के लिए उसकी दिशा बदलने के लिए भारत जैसे बड़े पड़ोसी के ऊपर दोषारोपण करना चाहते हैं. यह एक अल्पकालिक तरीका है. बांग्लादेश भारत के बिना नहीं रह सकता है, क्योंकि उसकी भारत पर काफी निर्भरता है.'

बांग्लादेश से जुड़े खतरे की चिंता को लेकर उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश में इस्लामिक चरमपंथियों की जो परिस्थितियां बन रही हैं, उससे भारत को अपने पड़ोसी और पड़ोस के राज्यों में दूर तक भी एक समस्या का सामना करना पड़ सकता है. ये समस्याएं नई नहीं हैं. भारत ने पिछले 40 सालों में कई बार भारत के बाहर से आतंकवाद का सामना किया है. बांग्लादेश से पहले भी सामना किया जा चुका है और यह फिर से परिस्थितियां इस तरह से जटिल हो जाती हैं, और बांग्लादेश एक पनाह की जगह बन जाती है, जो भारत पर हजारों टुकड़ों में प्रतिघात करना चाहता है. भारत को इससे सावधान रहने की जरूरत है.'

 

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