इस्लामाबाद: न्यूज़ एजेंसी ANI के हवाले से ख़बर है कि पाकिस्तान की चीन से बढ़ती नज़दीकियों को एक नया आयाम तब मिला जब पाकिस्तान ने चीन की राष्ट्रभाषा मंदारिन को अपने देश की ऑफिशियल भाषाओं में शामिल कर लिया. ANI ने पाकिस्तानी मीडिया AbbTakk न्यूज़ के हवाले से कहा है कि देश में एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमें कहा गया कि दोनों देशों के आपसी रिश्तों के लिहाज़ से ये कदम बहुत ज़रूरी था.


इसी सिलसिले में आगे कहा गया कि दोनों देशों के बीच रिश्ते बीतते समय के साथ गहरे होंगे. इसका प्रमुख उद्देश्य लोगों को चीन-पाकिस्तान कॉरिडोर से जोड़ना है. पाकिस्तान का मानना है कि मंदारिन के इस्तेमाल से पाकिस्तान और चीन के लोगों का एक-दूसरे से जुड़ना आसान हो जाएगा. वहीं पड़ोसी देश का ये भी मानना है कि पूरे साउथ एशिया में इसे ऑफिशियल भाषाओं में शुमार किया जाना चाहिए.


अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कनी ने इससे जुड़ा एक ट्वीट करके लिखा, "अपने जन्म के 70 सालों में पाकिस्तान ने ऐसी चार भाषाओं को जगह दी जो देश की भाषाएं नहीं थीं. इनमें- अंग्रेजी, उर्दू, अरबी और अब मंदारिन हैं. इसके लिए देश को अपनी क्षेत्रिय भाषाओं को दरकिनार करना पड़ा."


आपको बता दें कि पाकिस्तान में प्रमुखता से बोली जाने वाली भाषाओं में पंजाबी और पश्तो जैसी भाषाओं को अभी तक ऑफिशियल भाषाओं में शुमार नहीं किया गया है. पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी अख़बार द डॉन की 2017 की एक ख़बर के मुताबिक देश में लोग चीन की इस भाषा को सीखने को लेकर आतुर हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें देश और दुनिया की ताकत का रुख बदलता नज़र आ रहा है और लोगों को लगता है कि अगर उन्हें मंदारिन आएगी तो उनका भविष्य उज्जवल होगा.