US News: अमेरिका की एक जिला कोर्ट ने 90 से अधिक विदेशी नागरिकों पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मंजूरी दे दी है. इनमें कई लोग ऐसे भी हैं, जो भारतीय नागरिक हैं. इन सभी लोगों ओपीटी घोटाले से जुड़े होने की वजह से ब्लैकलिस्टेड किया गया था.


हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इन सभी लोगों को वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (ओपीटी) धोखाधड़ी से जुड़े होने के बाद पकड़ा गया था. इसके बाद इन लोगों पर अमेरिका दोबारा एंट्री करने पर रोक लगा दी गई थी. इसके साथ ही उन्हें वीजा देने से भी इनकार कर दिया था. हालांकि, अब अदालत ने सभी 90 विदेशी नागरिकों पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया है.


छात्र ने बताई आपबीती


ओपीटी धोखाधड़ी में शामिल एक छात्र ने अपने बीते अनुभव को साझा किया. चेन्नई के एक छात्र के मुताबिक, उसने कुछ समय के लिए एक कंपनी में काम किया था, जिसे बाद में ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया. इस दौरान वह कुछ समय के लिए अपने घर गया और जब वह अमेरिका वापस लौटा तो उसे अमेरिकी सीमा शुल्क अधिकारियों ने वापस लौटा दिया. इसके बाद उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ा.


क्या बोले अटॉर्नी जेसी ब्लेस


वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जेसी ब्लेस ने बताया कि अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग अपने रिकॉर्ड की समीक्षा करने के लिए सहमत हुआ. उन्होंने ये पुष्टि कि ये पूर्व छात्र सिर्फ धोखाधड़ी वाली ओपीटी कंपनियों के साथ रोजगार के आधार पर अमेरिका के वीजा या यहां के लिए अयोग्य नहीं हैं. इसी आधार पर कोर्ट ने उन्हें अमेरिका में रहने और काम करने का एक और मौका दिया है.


क्या है वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (ओपीटी)?


बता दें कि वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण, जिसे ओपीटी भी कहा जाता है. ओपीटी विदेशी छात्रों को अमेरिका में काम का अनुभव हासिल करने में सक्षम बनाता है, जिसमें एसटीईएम के छात्रों के पास दो साल के विस्तार का विकल्प होता है. ओपन डोर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 के दौरान अमेरिका में 270,000 भारतीय छात्रों में से 69,000 छात्र ओपीटी में चुने गए थे.


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