नई दिल्ली: अफगानिस्तान से अमेरिका के जाते ही तालिबान का राज कायम हो गया है. काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान ने अपनी खूंखार बद्री यूनिट के लड़ाकों को तैनात कर दिया है. हक़्क़ानी नेटवर्क से जुड़े तालिबान के आतंकी अनस हक्कानी ने काबुल एयरपोर्ट का दौरा किया.


अमेरिका के जाते ही तालिबान में आतंकी गतिविधियां भी शुरू हो चुकी हैं. तालिबान ने पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर से हाथ मिलाया है. वहीं तालिबानी आतंकी एक युवक को हेलिकॉप्टर से लटकाकर आनंद लेते दिखे. 


एक तरफ जहां तालिबान ने अपनी इमेज सुधारने के लिए प्रवक्ताओं की फौज उतारी है तो वहीं दूसरी तरफ अफगानिस्तान की आंतरिक और वैश्विक गतिविधियों को चलाने के लिए एक नए प्रशासन का गठन किया है. इसमें तालिबान ने अपने बड़े नेताओं को जगह दी है, इसके साथ ही उन्हें कई महत्वपूर्ण पद भी दिए हैं. जानिए तालिबान के इस नए प्रशासन में किसे कौन सी जिम्मेदारी दी गई है.


हिबतुल्लाह अखुंदजादा, सुप्रीम कमांडर: हिबतुल्लाह अखुंदजादा को अफगानिस्तान का नया अमीर घोषित किया गया है. अखुंदजादा तालिबान के कट्टरवाद का सबसे बड़ा चेहरा रहा है. लेकिन कई दिनों से अखुनजादा नजर नहीं आया है. माना जा रहा है कि तालिबान ने खुद को बदला हुआ दिखाने की कोशिश में अखुंदजादा को पर्दे के पीछे कर दिया है. लेकिन एक बार पूरी तरह से कमान संभालने के बाद फिर अखुंदजादा के कानून ही लागू होंगे. 


अखुंदजादा का इतिहास बताता है कि वो शरिया का पैरोकार है, और तालिबान को जिस कट्टरता या क्रूर शासन के लिए पहचाना जाता है, उसके ज्यादातर नियम अखुंदजादा के ही बनाए हुए हैं. अखुंदजादा को आखिरी बार पेशावर में देखा गया था.


इसलिए ये आशंका जताई जा रही है कि अखुंदजादा ISI के सेफ हाउस में रह रहा है. उसके पाकिस्तान सेना के अस्पताल में भर्ती होने की भी चर्चा है..क्योंकि उसके कोविड से भी बीमार होने की खबरें सामने आई थी. हांलाकि तालिबान दावा कर रहा है कि अखुंदजादा कंधार में ही मौजूद है, उस ने अखिरी बार मई 2021 में ईद के मौके पर अपना लिखित संदेश जारी किया था. 


अब्दुल कय्यूम जाकिर: तालिबान ने अब्दुल कय्यूम जाकिर को देश का नया रक्षा मंत्री बनाया है. जाकिर दुनिया की सबसे खतरनाक जेल का कैदी और शांतिवार्ता का विरोधी रहा है. राष्ट्रपति अशरफ गनी के फरार होने के बाद राष्ट्रपति भवन में सबसे पहले घुसने वाले आतंकियों में अब्दुल कय्यूम जाकिर ही शामिल था. वर्ल्ड ट्रेड टावर पर हमले के बाद अमेरिका ने गिरफ्तार करके जाकिर को क्यूबा में अपने बनाए सबसे खतरनाक जेल ग्वांटनामो बे भेज दिया. 


गुल आगा इशाकाज़ी: तालिबान के वित्तीय कमीशन के अध्यक्ष रहे गुल आगा इशाकाज़ी को अफगानिस्तान के खजाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. गुल आगा इशाकाज़ी पर संयुक्त राष्ट्र समेत दुनिया के कई देशों ने प्रतिबंध लगा रहा है. मुल्ला उमर के बेहद करीबी रहे इशाकाज़ी पर आत्मघाती हमलों के लिए फंड जुटाने का आरोप है.  


अब्दुल बकी हक्कानी: अब्दुल बकी हक्कानी को अफगानिस्तान में उच्च शिक्षा की जिम्मेदारी मिली है. तालिबान के पहले दौर (1996-2001) के दौरान हक्कानी खोस्त और पक्टीका प्रदेश का गवर्नर था. इसके साथ ही उसने सूचना-संस्कृति विभाग और विदेश मंत्रालय में भी काम किया था.


इब्राहिम सदर: तालिबान ने इब्राहिम सदर को महत्वूपूर्ण गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है. सदर एक अनुभवी तालिबानी लड़ाका है. 1980 के दशक में वह सोवियत कब्जे के खिलाफ लड़ने वाली मुजाहिदीन ताकतों का हिस्सा था. बाद में वह तालिबान में शामिल हो गया. देश के गृहयुद्ध (1989-1996) के दौरान विपक्षी ताकतों के खिलाफ लड़ा. 


धार्मिक तौर पर चरम कट्टरपंथी, मुल्ला सदर ने पिछली तालिबान सरकार में अपने दिनों का इस्तेमाल जिहादी या आतंकवादी समूहों के साथ घनिष्ठ संपर्क स्थापित करने के लिए किया था. इस दौरान वह अल-कायदा के काफी करीब हो गया. जब 2001 में अमेरिका के नेतृत्व वाले ऑपरेशन ने तालिबान सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया तो वह अंडर ग्राउंड हो गया. 2016 में वह तालिबान के मिलिट्री चीफ के तौर पर वापस आया.


नजीबुल्ला: नजीबुल्ला को ताबिलान के नए प्रशासन में खुफिया विभाग की जानकारी मिली है. देश के मौजूदा हालात के हिसाब से यह बेहद महत्वपूर्ण पद माना जा रहा है. 


हेमत अखुंदज़ादा: तालिबान ने देश के शिक्षा मंत्री मंत्री की जिम्मेदारी हेमत अखुंदज़ादा को दी है. वह एक अफ़ग़ान राजनेता और तालिबान का सदस्य है.


अखुंदजादा के अलावा तालिबान की लीडरशिप के कई बड़े नजर नहीं आए
अखुंदजादा के अलावा तालिबान की लीडरशिप के कई बड़े चेहरे हैं, जो अब तक सामने नहीं आए हैं. तालिबान अफागिस्तान पर कब्जे के बाद भी उनका चेहरा दुनिया के सामने नहीं ला रहा है.  जिसमें पहला नाम है मोहम्मद याकूब का, जो तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटा है और इस वक्त तालिबान की मिलिट्री विंग का कमांडर है. 


दूसरा नाम है हक्कनी नेटवर्क के मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी का जो तालिबान का उप नेता है और तीसरा नाम हा अब्दुल रहमान जाहिद का ये भी तालिबान का उप नेता है. इनके अलावा भी तालिबान के ऐसे बहुत से नेता है, जो अभी तक पर्दे के पीछे है. और तालिबान इन्हे सामने नहीं ला रहा है. इसलिए उसकी कथनी और करनी को लेकर दुनिया का शक और गहरा होता जा रहा है. 


अमेरिका ने जाने के बाद तालिबान खुद को ऐसे पेश कर रहा है, जैसे वो इंसानियत का बहुत बड़ा पैरोकार हो. उसके प्रवक्ता रोज़ आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं. इसके साथ ही दुनिया भर देशों को तालिबान का संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि वो पहेल जैसा नहीं रहा. हालांकि हकीकत सभी को पता है कि यह तालिबान के सिर्फ दिखाने के दांत हैं. जैसे जैसे समय बीतेगा तालिबान का असली रंग सामने आएगा.


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