नई दिल्ली: दुनिया में कोरोना वायरस के खिलाफ टीका बनाने की दौड़ में चीन अपने बैल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के मुल्कों को परीक्षण मैदान की तरह इस्तेमाल कर रहा है. ब्राजील में चीन निर्मित कोरोना वायरस टीकों पर इस्तेमाल करने के बाद उसने अब बांग्लादेश में भी साइनोवैट टीके के लिए फेज-3 मानव परीक्षणों के लिए मंजूरी हासिल कर ली है.


बांग्लादेश सरकार ने रविवार को चीन की दवा कंपनी साइनोवैक बायोटैक को कोविड-19 के खिलाफ तैयार किए जा रहे वैक्सीन उम्मीदवार के परीक्षणों की इजाजत दी है. बांग्लादेश मीडिया के मुताबिक इंटरनेशनल सेंटर फोर डायरियाल डिसीज़ रिसर्च, बांग्लादेश या आईसीडीडीआर, बी इस टीके का स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर परीक्षण करेगा. यह परीक्षण ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल की यूनिट 1 और यूनिट 2, मुगाड़ा जनरल अस्पताल, कुरमिटोला जनरल अस्पताल, कुवैत-बांग्लादेश मैत्री अस्पताल और पवित्र परिवार अस्पताल में किए जाने हैं.


बांग्लादेश से पहले साइनोवैक ब्राजील में फेज-3 परीक्षणों की शुरुआत कर चुकी है. दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के दूसरे सबसे ज्यादा मामलों वाले ब्राजील में करीब 60 हजार लोगों पर साइनोवैक टीकों के परीक्षण की तैयारी की गई है. इसके अलावा इंडोनेशिया में भी बीजिंग की यह चीनी दवा कंपनी अपने टीके के फेज-3 परीक्षणों की शुरुआत करने जा रही है. इंडोनेशिया में सरकारी दवा कंपनी पीटी बायोफार्मा और Padjadjaran Universtiy के सहयोग से टीकों का परीक्षण कर रही है.


कोविड-19 वायरस के निष्क्रीय कणों के साथ टीका तैयार करने में जुटी चीनी कंपनी साइनोवैक ने जनवरी के अंत में वैक्सीन निर्माण की शुरुआत की थी. कोरोनावैक के नाम से तैयार किए जा रहे टीके के लिए चीन व्यापक टेस्ट करने में जुटा है.


हालांकि टीके की दौड़ में चीन की साइनोवैक अकेली दावेदार नहीं है. चीन की एक और कंपनी साइनो फार्मा भी अपने टीके का फेज-3 यानी मानव परीक्षण कर रही है. साइनोफार्मा के प्रस्ताविट टीके के लिए भी चीन से बाहर संयुक्त अरब अमीरात में व्यापक परीक्षण चल रहे हैं. इतना ही नहीं एक अन्य चीनी कंपनी कैनसाइनो बायोलॉजिक्स द्वारा विकसित किए गए टीके का परीक्षण में चीन की सेना भी शरीक है. कैन साइनो कनाडा में भी इस टीके का टेस्ट करने में जुटी है.


महत्वपूर्ण है कि बड़े पैमाने पर किए जा रहे मानव परीक्षण अधिकतर चीन से बाहर हो रहे हैं. वो भी उन देशों में जो चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के हिस्सेदार हैं. चाहे इंडोनेशिया हो या बांग्लादेश या फिर ब्राजील या संयुक्त अरब अमीरात, सभी देश बीआरआई में चीनी निवेश के हिस्सेदार हैं.


चीन के भीतर जहां सेना और सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों पर चाइनीज टीकों के परीक्षण किए जाने की रिपोर्ट आ रही हैं. वहीं, चीन से बाहर बड़े पैमाने पर फेज-3 परीक्षणों के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि उसे अपने देश में जरूरी वॉलेंटियर्स नहीं मिल पा रहे हैं. महत्वपूर्ण है कि फेज-3 के मानव परीक्षणों के लिए, जहां हजारों की संख्या में वॉलेंटियर्स की संख्या के साथ साथ आउटब्रेक जैसी स्थितियों के भी जरूरत है. चीन में शुरू होने के बावजूद कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति वहां काफी नियंत्रण में है.


दुनिया में महामारी की तरह फैले कोविड-19 वायरल संक्रमण अब तक जहां करीब डेढ़ करोड़ लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है, वहीं इससे मरने वालों की संख्या 5.97 लाख तक पहुंच चुकी है. इस बीमारी के लिए टीका तैयार करने की होड़ दुनियाभर की वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में चल रही है. लेकिन इसमें अभी तक ऑक्सफोर्ड- एस्ट्रा ज़ेनेका कंपनी, चीन की तीन कंपनियों ने ही मानव परीक्षण का फेज-3 शुरू किया है.


टीके की दौड़ में दावेदारी भारत की भी है. भारत की भी सात कंपनियां जुटी हैं. इसमें भारत बायोटैक को कोवोक्सिन टीके के फेज-1 और फेज-2 मानव परीक्षणों के लिए इजाजत दे दी गई है. वहीं एस्ट्रा ज़ेनेका कंपनी को भी एडवांस मानव परीक्षण की मंजूरी दी गई है.