Afghanistan News: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां अफरा तफरी और अनिश्चितता का माहौल है. लेकिन अफगानिस्तान में एक जगह ऐसी भी है, जहां तालिबान का खौफ नहीं है. वहां के लोग बिना किसी डर के आराम से रह रहे हैं. यह जगह है पंजशीर घाटी जो कि नार्दन अलॉयंस का गढ़ है. पंजशीर हमेशा तालिबान को चुनौती पेश करता है. जानिए ऐसे सात योद्धाओं के बारे में जो तालिबान के खिलाफ अपनी जंग लड़ रहे हैं.

1-मुहम्मद नूर

मुहम्मद नूर ताजिक फिरके से आते हैं. बाल्क प्रांत के गवर्नर रहे हैं और तालिबान के खिलाफ मुजाहिदीन की तरफ से लड़ाके भी रहे हैं. एक बार फिर ये उस जंग के लिए तैयार हैं.

2-अमरुल्लाह सालेह

अमरुल्लाह सालेह भी ताजिक हैं और अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति रह चुके हैं. पंजशीर की घाटियों से तालिबान के खिलाफ वो अब भी अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

3-अहमद मसूद

अहमद मसूद भी ताजिक हैं. पंजशीर के सबसे बड़े योद्धा अहमद शाह मसूद के बेटे हैं और पंचशीर से तालिबान विरोधी खेमे के नेता हैं.

4-अब्दुल रशीद दोस्तम

अब्दुल रशीद दोस्तम उजबेक हैं. वो भी अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति रह चुके हैं और इस वक्त पंजशीर से ही तालिबान के खिलाफ जंग का हिस्सा हैं.

5-अब्दुल गनी अलीपुर

अब्दुल गनी अलीपुर शिया हजारा हैं. ये एक तालिबान विरोधी संगठन चलाते हैं जिसका नाम हिज्ब-ए-वहादत है. इस वक्त पंजशीर में तालिबान विरोध गुट का एक हिस्सा अलीपुर भी हैं.

6-मुहम्मद यूनुस कनूनी

मुहम्मद यूनुस कनूनी ताजिक हैं, जो अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति रह चुके हैं. और इस वक्त इस्लामाबाद में रहकर अपनी लड़ाई लड रहे हैं.

7-करीम खलीली

इस कड़ी में सातवां नाम करीम खलीली का है, जो हजारा समुदाय से आते हैं. अफगानिस्तान में उप राष्ट्रपति रह चुके हैं और तालिबान के शह मात का खेल खेल रहे हैं. यानी कभी सुलह की बात तो कभी गुरिल्ला युद्ध.

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