काबुल: अफगानिस्‍तान में फिर से तालिबान का शासन वापस आ गया है. अफगानिस्‍तान के लोग सालों से गरीबी की हालत में जिंदगी काटते आए हैं. एक ऐसा देश जिसने हमेशा युद्ध झेला और हर बार गरीबी से निकलने की कोशिशें करता रहा. हकीकत इसके उलट है. आप हैरान हो जाएंगे ये सुनकर कि अफगानिस्‍तान साउथ एशिया का सबसे अमीर देश है लेकिन उसकी तकदीर में फिर गरीबी ही आती है.


इस गरीब देश अफगानिस्तान में इतनी ताकत है कि वो संपन्नता के मामले में दुनिया के कई देशों को पीछे छोड़ देगा. यही वजह है कि तालिबान भी इस देश को नहीं छोड़ना चाहता. अमेरिका, रूस जैसे देश बार-बार यहां आते हैं और चीन की भी टेढ़ी नजर अफगानिस्तान पर टिकी है.  


2010 में, अमेरिकी सैन्य अधिकारियों और भूवैज्ञानिकों ने खुलासा किया था, जिसके मुताबिक अफगानिस्‍तान के खनिज संसाधन को कम से कम 1 लाख करोड़ का बताया गया था. अमेरिकी जियोलॉजिस्‍ट को यहां पर भारी मात्रा में खनिज मिले थे. चांदी जैसा दिखने वाला लिथियम रिन्‍यूबल एनर्जी बैटरीज के लिए बहुत जरूरी है.


तालिबान क्‍लीन एनर्जी के लिए सबसे बड़ी चुनौती
मोबाइल फोन आज सबसे बड़ी जरूरत बन गया है. इस फोन की बैटरी से लेकर आप इसके लिए जो पावर बैंक यूज करते हैं, उसमें लिथियम बैटरी का ही प्रयोग होता है. तालिबान ने अब अफगानिस्‍तान में मौजूद करोड़ों टन मिनरल्‍स पर भी कब्‍जा कर लिया है. ये मिनरल्‍स, क्‍लीन एनर्जी इकोनॉमी के लिए बहुत ही संवेदनशील हैं.


वॉशिंगटन के इकोलॉजिकल सिक्‍योरिटी प्रोग्राम के मुखिया रॉड स्‍कूनोवर के मुताबिक तालिबान दुनिया में सबसे रणनीतिक खनिज भंडार पर बैठा है. ये देखना होगा कि वो इसका कैसे प्रयोग करेंगे. अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा करने के साथ ही तालिबान क्‍लीन एनर्जी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.


अफगान में लोहे, तांबे, कोबाल्ट, सोने के बड़े भंडार मौजूद
वैज्ञानिकों के मुताबिक अफगानिस्तान में लोहे, तांबे, कोबाल्ट, सोने और लीथियम के बड़े भंडार मौजूद हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक अफगानिस्‍तान के दुर्लभ खनिज संसाधन पृथ्वी पर सबसे बड़े हैं. आपको बता दें कि दुर्लभ खनिज इस समय टेक्‍नोलॉजी की सबसे बड़ी जरूरत हैं. इनकी मदद से ही मोबाइल फोन, टीवी, हाइब्रिड इंजन, कंप्यूटर, लेजर और बैटरी तैयार की जाती हैं.


सबसे बड़े खनिज भंडार लोहे और तांबे के हैं और इनकी मात्रा काफी ज्‍यादा है. ये इतनी मात्रा में हैं कि अफगानिस्तान इन खनिजों में दुनिया का सबसे बड़ा देश बन सकता है. इसी पर तालिबान से लेकर उसके समर्थक देशों की नजरें लगी हैं. जिसमें चीन भी शामिल हैं.


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