Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां मौजूद ब्रिटिश सेना के आखिरी बचे हुए जवानों ने वापसी कर ली है. ब्रिटेन के सैनिक युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में पिछले लगभग दो दशक से मौजूद थें. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इन कठिन हालात में वहां से कई नागरिकों को बाहर निकालने में मदद करने वाले अपने सैनिकों की बहादुरी पर उनकी तारीफ की है. हालांकि ब्रिटिश सरकार पहले ही इस बात पर खेद जता चुकी थी कि, अफगानिस्तान से बाहर निकलने की सोच रहे हर एक व्यक्ति को वहां से निकालना संभव नहीं है



बोरिस जॉनसन ने ब्रिटिश सेना के लिए लिखे अपने अपने आधिकारिक बयान में उनकी जमकर तारीफ की. अफगानिस्तान से लोगों को बाहर निकालने के उनके मिशन ‘Operation Pitting' की सफलता पर उन्होंने अपने सैनिकों को बधाई दी. बोरिस जॉनसन ने अपनी सेना से कहा, “आपको अपनी बहादुरी पर गर्व होना चाहिए.”


कल रात काबुल से रवाना हुई आखिरी फ़्लाइट 


काबुल एयरपोर्ट से ब्रिटिश सैनिकों और राजनयिकों को लेकर आखिरी फ़्लाइट शनिवार देर रात रवाना हुई थी. अफगानिस्तान से नागरिकों को लेकर ब्रिटेन के लिए आखिरी फ़्लाइट भी इस से कुछ घंटे पहले रवाना हुई थी. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, “अफगानिस्तान में पिछले दो दशक के दौरान हमारी सेना ने काफी कुछ बलिदान किया है. जिसके बाद उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है. आज वहां से हमारी सेना के आखिरी जवानों की वापसी इस बात का जीता जागता सबूत है.”


अफगानिस्तान के बेहतर भविष्य के लिए लड़ते रहेंगे 


साथ ही बोरिस जॉनसन ने कहा, “सेना की वापसी के बाद भी अफगानिस्तान के भविष्य के लिए हमारा नजरिया नहीं बदला है. अब हम हर तरह के राजनीतिक और मानवाधिकार संगठनों का इस्तेमाल कर अफगान के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए लड़ाई लड़ेंगे.”


अफगानिस्तान के लोगों को भी है शांति से जीने का हक


बता दें कि, अमेरिका को छोड़कर ज्यादातर देश अफगानिस्तान से नागरिकों और अपनी सेना की वापसी के मिशन के पूरा होने की बात कह चुके हैं. ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के अनुसार पिछले दो हफ्ते से भी कम समय में काबुल से 14,000 लोगों को बाहर निकाला गया है. अफगानिस्तान में ब्रिटेन के राजदूत लॉरी ब्रिस्टो ने वहां से निकलने के साथ ही कहा, “अब इस ऑपरेशन के इस फेज को खत्म करने का समय आ गया है.”


साथ ही उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, “हम उन लोगों को नहीं भूले हैं जो अब भी अफगानिस्तान से बाहर निकालने के इंतजार में हैं. उन्हें बाहर निकालने के लिए हमारी तरफ से जो भी मदद सम्भव होगी हम करेंगे. साथ ही हम अफगानिस्तान के बहादुर और मासूम लोगों को भी नहीं भूलें हैं. उन्हें शांति और सुरक्षा के साथ रहने का पूरा हक है.”   


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