अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से यहां की स्थिति बिगड़ती जा रही है. बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी के कारण यहां हालात बद से बदतर हो रहे हैं. इस कारण लोगों पर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है. दो वक्त की रोटी के लिए लोग कुछ भी करने और अपना कुछ भी बेचने के लिए बेबस हैं. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान में लोग अपने बच्चों और किडनी तक बेचने को मजबूर हैं.


रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी किडनी बेची है. दो वक्त की रोटी खाने के लिए उन्हें ये कदम उठाना पड़ा. कुछ ने तो अपनी किडनी एक लाख से चार लाख रुपये में बेची है. लेकिन उनको मिली रकम का ज्यादातर हिस्सा कर्ज चुकाने में चला गया. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो घर चलाने के लिए अपने बच्चों से सड़क पर भीख मंगवा रहे हैं और कुछ लोग पैसों के लिए अपने बच्चे भी बेचने के लिए तैयार हैं.


अफगानिस्तान में 40 लाख बच्चे कुपोषण का सामना कर रहे
वहीं संयुक्त राष्ट्र ने दावा किया है कि अफगानिस्तान में कम से कम 40 लाख अफगान बच्चों के कुपोषण से प्रभावित होने की आशंका है, जिनमें से 2022 में 1,37,000 बच्चों की जान चली जाएगी. संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी दी है कि कम से कम 1.8 करोड़ अफगान खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं और उनमें से 90 लाख को भोजन की सख्त जरूरत है.


संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के संचालन और वकालत विभाग में निदेशक रीना घेलानी ने एक विशेष साक्षात्कार में टोलो न्यूज को बताया कि हमें वहां लोगों से ज्यादा बात करने और उनकी शिकायतों को सुनने की जरूरत है. हमें निश्चित रूप से यह सुनने की जरूरत है कि क्या वहां कोई समस्या है और यह उस मिशन का हिस्सा है जिस पर हम गए हैं." उन्होंने कहा, "मैंने इसमें अपना अधिकांश समय बिताया है ताकि हम सभी अफगान लोगों से उन सटीक मुद्दों के बारे में बात करें और उनसे सीधे सुने, जिससे हम सुनिश्चित कर सकें कि हम सही तरीके से काम कर रहे हैं."


तालिबान के कब्जे के बाद से 86 अफगान रेडियो स्टेशन बंद
वहीं अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से कम से कम 86 रेडियो स्टेशनों ने परिचालन बंद कर दिया है. आंकड़ों के आधार पर, काबुल के पतन के बाद से 300 से अधिक विभिन्न प्रकार के मीडिया संगठन बंद कर दिए गए हैं. अफगानिस्तान में रेडियो की शुरूआत 1926 में पूर्व राजा अमानुल्लाह खान के काल में हुई थी. पहले रेडियो स्टेशन का नाम रेडियो काबुल था और इसका प्रसारण काबुल में होता था.


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