उज्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद हो रहे शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (SCO)पर अमेरिका की नजर है. क्योंकि इस समिट में अमेरिका के तीन बड़े दुश्मन रूस, चीन और ईरान एक साथ होंगे. 


इससे बड़ी दिक्कत अमेरिका के लिए ये है कि इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं. 15 सितंबर को शुरू हुए सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लदिमीर पुतिन और और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई है. इसमें चीन ने यूक्रेन युद्ध का मुद्दा उठाया है. 


पीटीआई के मुताबिक इस मुलाकात में शी जिनपिंग ने पुतिन के सामने कुछ सवाल रखे हैं और चिंता जाहिर की है. हालांकि चीन ने इस मामले में शुरू से ही रूस के प्रति झुकाव दिखाया है.


बैठक के बाद पुतिन ने चीन के उसके संतुलित रुख का धन्यवाद किया है. लेकिन इस रूस-यूक्रेन युद्ध के 6 महीने में ये पहला मौका है जब चीन ने रूस से सीधे इस मामले में चिंता जाहिर की है.


लेकिन बैठक के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, 'यूक्रेन संकट के समय दोस्त चीन के उस संतुलित रुख हमारे लिए कीमती है.' हांगकांग के अखबार साउथ चाइना पोस्ट ने पुतिन के बयान के हवाले से लिखा, 'हम आपके सवालों और चिंताओं को समझते हैं. हम अपने हालात के बारे में आपको जरूर जानकारी देंगे'.


वहीं चीन की मीडिया ने अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हवाले से लिखा है कि चीन, रूस के साथ मिलकर एक दूसरे के हितों के लिए मजबूत साझेदारी का पक्षधर है. साथ ही व्यापार, कृषि और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में घने संबंध बढ़ाने का इच्छुक है. 




वहीं ताइवान को लेकर जारी चीन- अमेरिका के तनाव पर पुतिन बोलने से नहीं चूके और 'वन चाइना' की बात पर समर्थन का ऐलान कर डाला. बता दें कि वन चाइना नीति का मतलब है कि ताइवान का ही हिस्सा मानना.


गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही अमेरिकी सांसद नैंसी पेलेसी ताइवान की यात्रा पर आई थीं. इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. यहां तक कि चीन और ताइवान की सेनाएं एक-दूसरे पर हथियार तानने लगे हैं. चीन ने ताइवान के पास ही एक बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया था.


रूस ने पाकिस्तान पर भी डाले डोरे


आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को जहां अमेरिका की ओर से हाल ही में 45 करोड़ डॉलर की मदद दी है. पाकिस्तान का दक्षिण एशिया में अमेरिका का सबसे बड़ा पिछलग्गू है. वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी पाकिस्तान पर डोले डाले हैं. पुतिन ने गुरुवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से कहा कि उनका देश पाकिस्तान को गैस की आपूर्ति कर सकता है और इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा पहले से ही मौजूद है. 


पुतिन ने शंघाई शिखर सम्मेलन से इतर शरीफ से मुलाकात के दौरान यह बात कही है. 


रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास के अनुसार पुतिन ने कहा, 'मुद्दा रूस से पाकिस्तान को पाइपलाइन गैस की आपूर्ति का है, जो संभव है, जिसका अर्थ है कि बुनियादी ढांचे का एक हिस्सा पहले ही तैयार किया जा जा चुका है... हमें अफगान मुद्दे को हल करना है.'






उन्होंने कहा, 'निश्चित रूप से राजनीतिक स्थिरता से जुड़ी समस्याएं हैं, लेकिन अफगान लोगों के साथ हमारे पारस्परिक अच्छे संबंधों को ध्यान में रखते हुए, मुझे उम्मीद है कि इस समस्या का भी समाधान हो सकता है, मेरा मतलब देश की स्थिति पर पाकिस्तान के प्रभाव से है.'


ईरान के शामिल होने पर रूस ने जताई खुशी


ईरान के अमेरिका के रिश्ते जगजाहिर हैं. परमाणु हथियारों के रखने का आरोप लगाकर अमेरिका ने ईरान पर कार्रवाई कर चुका है. इतना ही नहीं ईरान से तेल खरीदने वाले देशों को भी अमेरिका आंखें दिखाता रहता है. भारत इसका सबसे बड़ा भुक्तभोगी है. ईरान को भी एसईओ में शामिल कर लिया गया है. 


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर अपने ईरानी समकक्ष इब्राहिम रायसी से मुलाकात की और ईरान के इस आठ-सदस्यीय समूह में शामिल होने पर खुशी जाहिर की.


समरकंद में एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों के 22वें शिखर सम्मेलन में ईरान को शामिल किये जाने पर अंतिम फैसला लेने और मिस्र, कतर तथा सऊदी अरब को एक संवाद भागीदार (डायलॉग पार्टनर) का दर्जा दिये जाने की उम्मीद है. 


पुतिन ने रायसी से कहा कि वह खुश हैं कि ईरान एससीओ में शामिल हो रहा है.  रूस की सरकारी संवाद एजेंसी तास ने पुतिन के हवाले से कहा है, 'जैसा कि हम आपसे सहमत थे, हमने ईरान के शंघाई सहयोग संगठन का पूर्ण सदस्य बनने के लिए सब कुछ किया है'. 


पुतिन ने आगे कहा,' इस संगठन में हमारे भागीदारों ने आपके आवेदन का समर्थन किया है, अब जो कुछ बचा है वह एक अंतिम औपचारिकता है. यह वास्तव में एक औपचारिकता है और ईरान पहले से ही गंभीर, बड़े और आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय संगठन में शामिल हो रहा है.'




पुतिन ने जोर देकर कहा कि कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर मास्को और तेहरान के विचार समान हैं. उन्होंने कहा, 'अंतरक्षेत्रीय संबंध विकसित हो रहे हैं. हम अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं और कई मुद्दों पर हमारी स्थिति एक जैसी है, या जैसा कि राजनयिक कहते हैं, कि यह महज एक संयोग है.'


बता दें कि  वर्ष 2001 में स्थापित, शंघाई सहयोग संगठन के वर्तमान सदस्य भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान हैं, जिनमें अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया पर्यवेक्षक देश हैं.


एससीओ के साझेदार देशों में आर्मेनिया, आजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका शामिल हैं.  इस सदस्यता से पहले, ईरान एससीओ में एक पर्यवेक्षक के रूप में कार्य कर रहा था.