चुनाव आयोग ने 22 साल बाद बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR प्रक्रिया शुरू की, ताकि वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा और अपडेटेड बनाया जा सके. बिहार में 2020 में 7.29 करोड़ वोटर्स थे. 2024 में बढ़कर 7.64 हो गए. लेकिन 2025 में SIR के बाद वोटर लिस्ट में करीब 65 लाख लोगों के नाम काट दिए. अब चुनाव आयोग ने फाइनल लिस्ट जारी की है, जिसमें नाम काटे भी गए हैं और बढ़ाए भी गए...
तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि SIR की फाइनल लिस्ट क्या है, इसमें नाम काटने के साथ जोड़े क्यों गए और इससे चुनाव पर क्या असर पड़ेगा...
सवाल 1- बिहार में SIR क्या है और इसके बाद वोटर्स की फाइनल लिस्ट में क्या हुआ?जवाब- बिहार में 2003 के बाद पहली बार SIR प्रक्रिया चली। इसे 24 जून 2025 को शुरू किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य था, फर्जी जैसे विदेशी नागरिकों, दोहराए गए और स्थानांतरित मतदाताओं को सूची से हटाना और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना.
इसके तहत 7.24 करोड़ मतदाताओं से फॉर्म लिए गए. SIR का पहला फेज 25 जुलाई 2025 तक पूरा किया गया, जिसमें 99.8% कवरेज हासिल की गई.
आंकड़ों के अनुसार, 22 लाख मतदाताओं की मौत हो चुकी है. 36 लाख मतदाता अपने घरों पर नहीं मिले. 7 लाख लोग किसी नई जगह स्थायी निवासी बन चुके हैं.
30 सितंबर को चुनाव आयोग ने बिहार में SIR के बाद वोटर्स की फाइनल लिस्ट जारी की. बिहार में अब कुल वोटर्स की संख्या 7.41 करोड़ हो गई है. फाइनल लिस्ट से 69 लाख नाम हटे हैं. 21 लाख नए नाम जुड़े हैं. ड्राफ्ट लिस्ट से जो 65 लाख नाम कटे थे उसमें 17 लाख नामों को लिस्ट में जोड़ा गया है.
फाइनल SIR लिस्ट में पटना जिले में 1 लाख 63 हजार 600 मतदाता बढ़े हैं. पटना में पहले 46 लाख 51 हजार 694 मतदाता थे. फाइनल रोल में 48 लाख 15 हजार 694 मतदाताओं के नाम हैं.
दरभंगा में 80 हजार 947 वोटर्स बढ़े हैं. पहले 27 लाख 99 हजार 852 वोटर्स थे. अब ये बढ़कर 28 लाख 80 हजार 799 हो गए हैं.
नवादा जिले में 30 हजार 491 वोटर बढ़े हैं. पहले 16 लाख 85 हजार 798 वोटर्स थे. अब यहां 17 लाख 16 हजार 289 वोटर्स हो गए हैं.
मुजफ्फरपुर जिले में 88 हजार 108 वोटर बढ़े हैं. पहले यहां 32 लाख 3 हजार 370 वोटर्स थे. अब फाइनल रोल में 32 लाख 91 हजार 478 वोटर हैं.
सवाल 2- जब SIR के तहत नाम काटते हैं, तो अब जोड़े क्यों गए?जवाब- SIR में 65 लाख लोगों का नाम कटा था, जिसके बाद विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. विपक्ष ने कहा कि SIR में गड़बड़ी हुई है. करीब 89 लाख लोगों ने इसकी शिकायत की थी, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया. इसके बाद विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
दरअसल, SIR में शुरुआत में 11 दस्तावेज मान्य किए गए थे, लेकिन 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आधार नंबर को 12वां दस्तावेज माना गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'आधार पहचान का प्रमाण पत्र है, नागरिकता का नहीं. कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वोटर की पहचान के लिए आधार को 12वें दस्तावेज के तौर पर माना जाए.'
वहीं, चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक वोटर लिस्ट कभी पूरी तरह बंद नहीं होती. फाइनल लिस्ट के बाद भी नए नाम जोड़े जा सकते हैं, ताकि कोई योग्य वोटर छूट न जाए. इस वजह से गलती से काटे गए नामों को सुधारने का मौका दिया जा रहा है.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि अब नाम कटने का सिलसिला रुक गया. फाइनल लिस्ट में से भी 69 लाख वोटर्स के नाम काटे गए हैं.
सवाल 3- फाइनल वोटर लिस्ट आने के बाद बिहार चुनाव पर क्या असर पड़ेगा?जवाब- इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, 'फाइनल वोटर लिस्ट से बिहार चुनाव पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि अब चुनाव में उतना वक्त भी नहीं बचा है. अब तो जो हंगामा पहले से चला आ रहा है, वही असर करेगा. अब वोटर लिस्ट के दम पर चुनाव के नतीजों में बदलाव नहीं होगा. वोटर लिस्ट में नाम कटने से जो लोग नाराज थे, वह अपना मन बना चुके हैं. पहले 65 लाख लोगों के नाम कटे और अब 69 लोगों के नाम काट दिए गए. वहीं जोड़े सिर्फ 21 लाख.'
अमिताभ तिवारी आगे कहते हैं, 'बिहार चुनाव में वोटर लिस्ट से ज्यादा महिला योजना असर करेगी. अब इस योजना को देखते हुए वोटर्स अपना फैसला करेंगे. NDA को कहीं न कहीं लग रहा था कि वोटर लिस्ट से चुनावी नतीजे पलट सकते हैं, इसलिए महिला योजना शुरू कर दी. बिहार में करीब 3.64 करोड़ महिला वोटर्स हैं, जो चुनावी नतीजे पलटने की ताकत रखती हैं. अब तो चुनाव इन्हीं महिला वोटर्स के हाथ में है.'
सवाल 4- तो क्या बिहार में NDA की जीत तय मानी जा सकती है?जवाब- बिहार में महिलाएं NDA और खासकर नीतीश कुमार की ट्रस्टेड वोटर बेस हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने NDA को ज्यादा सपोर्ट किया था. यह योजना महिलाओं को पसंद आएगी क्योंकि यह शराबबंदी जैसी पॉलिसी का ही अगला कदम है. इलेक्शन एनलिस्ट्स का कहना है कि जहां महिला वोटर्स ज्यादा हैं, वहां BJP की स्ट्राइक रेट 19% ज्यादा है.
BJP-NDA महिलाओं पर फोकस कर रही है, क्योंकि महिलाएं चुनाव में गेम चेंजर साबित हो रही हैं. PM मोदी ने कहा कि यह स्कीम NDA के कैंपेन का हिस्सा है. NDA ने हाल में ASHA वर्कर्स का ऑनरैरियम 1 हजार रुपए से बढ़ाकर 3 हजार रुपए कर दिया, जिससे करीब 1.20 लाख महिलाओं को फायदा हुआ. ममता वर्कर्स की राशि 300 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए कर दी. जीविका ग्रुप्स के लिए 105 करोड़ ट्रांसफर भी किए। ये सब स्कीम्स महिलाओं को टारगेट करती हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तरह 2023 के मध्य प्रदेश चुनाव में शिवराज सिंह की लाड़ली बहना योजना से BJP को महिलाओं से बड़ा फायदा मिला, जिससे चुनाव जीते. महाराष्ट्र में लाड़की बहिन योजना ने महायुति को पावर में रखा. बिहार में भी यही ट्रेंड चल रहा है। BJP बिहार चुनाव जीतने के लिए हर मुमकिन कोशिशें कर रही है, जिस वजह से नई-नई स्कीम्स आना कोई बड़ी बात नहीं. लेकिन इसका सीधा फायदा BJP को होना बड़ी बात है.