भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी BCCI के अध्यक्ष पद को लेकर इस बार काफी चर्चा है. इसकी पद की जिम्मेदारी अभी तक टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली संभाल रहे थे. लेकिन अब उनकी जगह 1982 विश्वकप विजेता टीम के सदस्य रहे रोजर बिन्नी के नाम की चर्चा हो रही है. 


बीसीसीआई के आम सभा की बैठक 18 अक्टूबर को होनी है जिसमें बोर्ड के अध्यक्ष पद की घोषणा होनी है. मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली ने इस पद पर बने रहने की इच्छा जताई है. 


मीडिया में आई खबरों की मानें तो सौरव गांगुली को आईपीएल कमिश्नर की जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव दिया गया लेकिन प्रशंसकों के बीच दादा के नाम से मशहूर गांगुली ने ये पद लेने से इनकार कर दिया है.


वहीं जय शाह के बीसीसीआई के सचिव पद पर बने रहेंगे. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर गांगुली की जगह अब जय शाह ही हिस्सा लेंगे. 


कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला बीसीसीआई के उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालते रहेंगे. वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण सिंह धूमल को अब आईपीएल कमिश्नर बनाया जाएगा. वो ब्रजेश पटेल की जगह लेंगे.


वहीं महाराष्ट्र बीजेपी नेता आशीष शेलार को अब बीसीसीआई का कोषाध्यक्ष बनाने की तैयारी है. पहले उनके मुंबई क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बनने की चर्चा की थी. उनके पीछे एनसीपी नेता शरद पवार गुट का हाथ है.


असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिश्वशर्मा के निकट सहयोगी देवाजीत साकिया को जयेश जॉर्ज की जगह बीसीसीआई का नया संयुक्त सचिव बनाया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष पद का चुनाव बीसीसीआई लड़ेगी या नहीं अभी इस पर फैसला नहीं हो पाया है. पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक बीसीसीआई में कौन किस पद की जिम्मेदारी लेगा इसको तय करने में केंद्र सरकार में एक पावरफुल मंत्री का बड़ा हाथ है.


अभी तक माना जा रहा था कि बीसीसीआई के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी रोजर बिन्नी को मुंबई में 18 अक्टूबर को होने वाली बैठक में दे दी जाएगी और इसके लिए कोई चुनाव नहीं होगा. लेकिन अब खबर है कि सौरव गांगुली भी रेस में बने रहना चाहते हैं और उन्होंने चुनाव कराने की मांग की है. 


सौरव गांगुली ने बाकी अधिकारियों से कहा है कि उन्हें चुनाव लड़ने का मौका दिया जाए. सौरव गांगुली ने इसके साथ ही अपनी जीत का भी दावा किया है. बता दें कि सौरव गांगुली अक्टूबर 2019 में बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे. सौरव गांगुली का कार्यकाल 9 महीने का ही था. लेकिन बीसीसीआई के संविधान का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से गांगुली तीन साल तक इस पद पर बने रहे.


बीसीसीआई के नए अध्यक्ष पद को लेकर कयास लगाए ही जा रहे थे कि पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी की ओर से बड़ा दावा किया गया है. टीएमएस की ओर कहा जा रहा है कि बीजेपी सौरव गांगुली को मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रही है क्योंकि वो इस पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं.




टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय बीजेपी की ओर से बातें फैलाई गईं कि सौरव गांगुली पार्टी में शामिल हो रहे हैं. घोष ने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक बदले की भावना है. गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह सचिव के तौर पर दूसरी बार इस पद पर काबिज रहेंगे जबकि गांगुली ऐसा नहीं कर सकते. हालांकि बीजेपी की ओर से टीएमसी के इस दावे को बकवास बताया गया है कि उनको भगवा खेमे में शामिल करने की तैयारी की थी.


वहीं टीएमसी प्रवक्ता घोष का कहना है, 'हम इस मामले सीधे कुछ भी नहीं बोल रहे हैं. क्योंकि बीजेपी की ओर से सौरव गांगुली के पार्टी में शामिल होने की बात फैलाई गई थी. अब बीजेपी की जिम्मेदारी है कि वो इस तरह के कयासों (सौरव गांगुली के दोबारा बीसीसीआई अध्यक्ष न बनने के पीछे की राजनीति) पर सफाई दे. ऐसा लगता है कि बीजेपी सौरव गांगुली को प्रताड़ित कर रही है'.


अमित शाह का बिना नाम लिए टीएमसी नेता ने कहा कि केंद्र के बड़े मंत्री मई के महीने में अमित शाह के घर पर डिनर के लिए गए थे. उन्होंने कहा कि क्या चल रहा है इसको लेकर सौरव गांगुली सब कुछ साफ-साफ बता सकते हैं.




वहीं टीएमसी के राज्यसभा सांसद डॉ. शांतनु घोष ने भी हैरत जताते हुए कहा है कि सौरव गांगुली को क्यों बीसीसीआई का दोबारा अध्यक्ष नहीं बनाया जा रहा है. उन्होंने ट्विटर पर कहा, 'राजनीतिक बदले की भावना का एक दूसरा उदाहरण. अमित शाह के बेटे दोबारा सचिव पद पर बैठ सकते हैं लेकिन सौरव गांगुली नहीं. क्या ये ममता बनर्जी के राज्य से होने की वजह से है या फिर उनके बीजेपी में न शामिल होने की वजह से?'


वहीं बीजेपी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने इन आरोपों को आधारहीन कहकर खारिज कर दिया है. दिलीप घोष ने कहा, 'हमें नहीं पता है कि कब सौरव गांगुली को बीजेपी में शामिल करने की कोशिश की गई.' बीजेपी नेता ने कहा कि सौरव गांगुली क्रिकेट की दुनिया के दिग्गज हैं. लेकिन कुछ लोग बीसीसीआई में हो रहे बदलावों पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं.


दिलीप घोष ने पूछा कि सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के पहले क्या उनके पास कभी कोई पद था. टीएमसी को हर मुद्दे पर राजनीति करने से बचना चाहिए.