नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में 15 साल का वनवास खत्म कर सत्ता में लौटी कांग्रेस के सामने अब सबसे बड़ा सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन? सीएम की रेस में दिग्गज नेता कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं. आखिरी फैसला पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को करना है लेकिन दोनों नेता अपने-अपने गढ़ में पार्टी के प्रदर्शन को आधार बनाकर कुर्सी तक पहुंचना चाहते हैं. एक तरफ कमलनाथ अपने अनुभव के दम पर रेस में हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया युवा होने की वजह लगातार अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं.


मध्य प्रदेश में कमलनाथ का पलड़ा भारी माना जा रहा है लेकिन दोनों नेता राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. मुलाकात के बाद ही सीएम को लेकर फैसला हो पाएगा. राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं से 'शक्ति एप' के जरिए भी उनकी पसंद पूछी है.


कमलनाथ की ताकत
कमलनाथ मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से दसवी बार से सांसद हैं. 'छिंदवाड़ा मॉडल ऑफ डेवलेपमेंट' सफल रहे. एक मई 2018 को मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने इसके बाद बड़ी जीत मिली. कमलनाथ पार्टी को वित्तीय मदद के हिसाब से भी फायदा पहुंचा सकते हैं. कमलनाथ सबसे अमीर संसद सदस्यों में से एक हैं. उन्होंने 2014 चुनाव में अपनी आय 206 करोड़ रुपये बताई थी.


पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ लंबे समय तक रणनीतिक स्तर पर काम किया है. यूपीए 2 के दौरान गठबंधन को जोड़े रखने में कमलनाथ की अहम भूमिका रही थी. दरअसल मध्य प्रदेश में कांग्रेस बहुमत से दो सीट कम हासिल कर पाई है. एसपी, बीएसपी और निर्दलियों के साथ गठबंधन की सरकार बना रही कांग्रेस को भविष्य में कभी भी मुशकिल का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में कमलनाथ का अनुभव पार्टी और और सरकार को जोड़े रखने के काम आएगा.


कहां कमजोर पड़ रहे हैं कमलनाथ?
कमलनाथ की सबसे बड़ी कमजोरी उनकी उम्र है, वे 71 साल के हैं. ऐसे में युवाओं को आगे बढ़ाने की बात करने वाले राहुल गांधी अगर उन्हें चुनते हैं तो भविष्य में उनके सामने भी दिक्कत खड़ी हो सकती है. इसके साथ ही कमलनाथ भले ही राज्य में जाना पहचाना चेहरा हों लेकिन उनके ज्यादतर समर्थक सिर्फ छिंदवाड़ा में हैं. सोनिया गांधी ब्रिगेड का हिस्सा होना भी उनकी कमजोरियों में से एक बन सकता है.


ज्योतिरादित्य सिंधिया की ताकत
ज्योतिरादित्य सिंधिया राहुल गांधी के सबसे करीबी और विश्वस्त नेताओं में से एक हैं. पिछले कुछ सालों में सिंधिया ने मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाके में काफी दौरा किया है और पार्टी की नींव मजबूत करने का काम किया है. इस साल की शुरुआत में कोलारस और मुंगावली विधानसभा उपचुनाव में भी सिंधिया कांग्रेस के केंद्र में थे.


माना जा रहा है कि 47 वर्षीय सिंधिया ने ऐसे चालें चली कि वो खुद को सीएम प्रोजेक्ट कर सकें. सिंधिया का पार्टी में लगातार कद बढ़ना दिखाता है कि राहुल गांधी संदेश देना ताहते हैं कि वो अब सोनिया गांधी के सहयोगियों पर निर्भर नहीं हैं.


कहां कमजोर पड़ रहे हैं 'महाराज'
सिंधिया के सामने एक बड़ी परेशानी ये है कि उनकी स्वीकार्यता पूरे प्रदेश के बजाए सिर्फ ग्वालियर क्षेत्र में ही है. सिंधिया ग्लावियर घराने से आते हैं, उनके इलाके लोग उन्हें महाराज कहकर बुलाते हैं. इसके साथ ही अगर कमलनाथ से तुलना की जाए तो सिंधिया अनुभव में कहीं नहीं ठहरते. माना जा रहा है कि अगर भविष्य में सरकार पर किसी तरह का संकट का आता है तो सिंधिया उसके लिए नौसिखए हैं.


सीएम पद के लिए 'शक्ति एप' के जरिए राहुल कार्यकर्ताओं से मांग रहे हैं राय