प्रयागराज: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी का बयान आने के बाद विश्व हिन्दू परिषद अब पशोपेश में है. बैकफुट पर आई वीएचपी ने इस मामले में गेंद अब साधू -संतों के पाले में डाल दी है. वीएचपी का कहना है राम मंदिर पर अब आगे की रणनीति कुंभ मेले में इकतीस जनवरी व एक फरवरी को होने वाली धर्म संसद में तय की जाएगी.
इस धर्म संसद में राम मंदिर मुद्दे पर संतों से उनकी राय जानी जाएगी. संत जो भी फैसला लेंगे, वह वीएचपी को मंजूर होगा और परिषद आगे उसी पर काम करेगी. धर्म संसद में संघ प्रमुख मोहन भागवत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे, लिहाजा यह धर्म संसद बेहद अहम रहेगी.
पीएम का बयान आने के बाद बेचैन वीएचपी पदाधिकारियों ने प्रयागराज में होने वाली धर्म संसद की तैयारियां और तेज कर दी हैं. धर्म संसद मेले में वीएचपी के पंडाल में ही होनी है. पीएम का बयान आने के बाद से वीएचपी के पदाधिकारियों अपनी भावना को जाहिर नहीं करना चाहते हैं.
इस बारे में वीएचपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री विनायक राव जी का कहना है कि पीएम मोदी का बयान उम्मीदों के मुताबिक़ नहीं है, लेकिन वीएचपी में इससे निराशा नहीं है, बल्कि अब भी आशा बची हुई है कि पीएम मोदी कोई न कोई कदम ज़रूर उठाएंगे और चुनाव से पहले मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ हो जाएगा.
हालांकि वीएचपी से जुड़े संत कतई देरी बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं. वीएचपी से जुड़े संतों का कहना है कि अगर मोदी सरकार को राम भक्तों की भावनाओं का ख्याल नहीं है तो उसे लोकसभा चुनाव में अंजाम भुगतने के लिए तैयारी कर लेनी चाहिए.