नई दिल्ली: प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के झगड़े में अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के भी लोग कूद पड़े हैं. नीतीश ने पीके को अलविदा क्या कहा, उन पर चौतरफ़ा हमले शुरू हो गए हैं. ऐसा लग रहा है सब नीतीश के फ़ैसले का इंतज़ार कर रहे थे. बहाना नागरिकता क़ानून का है. प्रशांत किशोर को अलग थलग करने की तैयारी है.
यूपी के मुख्यमंत्री के मीडिया एडवाइज़र मृत्युंजय नारायण ने उन पर ताज़ा हमला किया है. वे ट्वीट कर कहते हैं- आप राजनीति करने नहीं आए थे, राजनीति में व्यवसाय करने आए थे. लेकिन अंदाज़ा नहीं था कि व्यवसाय के स्वार्थ में देशहित का सौदा करने लगेंगे.
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मृत्युंजय भी बिहार के ही रहने वाले हैं. जेडीयू का उपाध्यक्ष रहते हुए प्रशांत किशोर लगातार नागरिकता क़ानून का विरोध कर रहे हैं. पिछले हफ़्ते तो उन्होंने अमित शाह को भी खुली चुनौती दे दी थी. गठबंधन में रहते हुए बीजेपी नेताओं की आलोचना करते रहे. अपने ही पार्टी अध्यक्ष नीतीश को चुनौती देते रहे. जब बात हद से बढ़ गई तो नीतीश ने अपने ख़ास दोस्त प्रशांत किशोर से मुक्ति ले ली.
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इसी साल के आख़िर में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं. अमित शाह एक नहीं तीन बार कह चुके हैं कि नीतीश कुमार की अगुवाई में चुनाव लड़ेंगे. सीटों के बँटवारे को लेकर अभी से दोनों पार्टियों में किच-किच भी शुरू हो गई है.
बताया जाता है कि प्रशांत किशोर ने इसके लिए भी एक फ़ार्मूला पेश किया था. जिसके हिसाब से जेडीयू गठबंधन में बड़ी पार्टनर होगी. वैसे लोकसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी बराबर सीटों पर चुनाव लड़ी थी.
दिल्ली के चुनाव में भी बीजेपी ने जेडीयू को दो सीटें दी हैं. इस चुनाव में प्रशांत किशोर और उनकी टीम अरविंद केजरीवाल के लिए काम कर रही है.