अमेठी/अयोध्या: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण का मतदान 27 फरवरी को होगा. यूं कहें तो इस चरण में एक तरफ जहां अमेठी में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की विरासत दांव पर होगी, वहीं दूसरी ओर 'राम' का नाम का लेकर सियासत करने वाली बीजेपी पर भी अयोध्या सीट पर कब्जे का भी दबाव होगा.


अमेठी और अयोध्या सहित 52 सीटों पर मतदान


पांचवें चरण में अमेठी और अयोध्या सहित 52 सीटों पर मतदान होना है. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में इनमें से लगभग 80 फीसदी सीटें वर्तमान एसपी और कांग्रेस गठबंधन के पास हैं.


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जिस गठबंधन के भरोसे यूपी में 300 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं, उसमें सबसे चर्चित सीट अमेठी और अयोध्या भी हैं. अमेठी से यूपी सरकार के विवादित और दुष्कर्म के आरोपी मंत्री गायत्री प्रजापति चुनाव मैदान में हैं.


गायत्री का रास्ता रोकने के लिए खड़ी हैं संजय सिंह की दोनों पत्नियां


खनन घोटाले को लेकर विपक्ष के लगातार निशाने पर रहे गायत्री पर अंतिम दौर में सुप्रीम कोर्ट का डंडा भी चला और पुलिस को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी पड़ी. यही वजह है कि गायत्री प्रजापति के प्रचार में पहुंचने के बाद भी मुख्यमंत्री ने अपने मुंह से उनका नाम नहीं लिया.


दूसरी ओर, कांग्रेस के नेता संजय सिंह की दोनों पत्नियां गायत्री का रास्ता रोकने के लिए खड़ी हैं. संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह जहां बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं, वहीं दूसरी पत्नी अमिता सिंह गठबंधन को दरकिनार करते हुये कांग्रेस से चुनाव लड़ रही हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में अमेठी की पांच विधानसभा सीटों पर एसपी का कब्जा था. इसके चलते राहुल गांधी पर भी अमेठी में गठबंधन को जीत दिलाने का दबाव बढ़ गया है.


महज दिखावा है एसपी और कांग्रेस का गठबंधन


अमेठी सीट से बीजेपी की उम्मीदवार गरिमा सिंह ने कहा कि एसपी और कांग्रेस का गठबंधन महज दिखावा है. यहां पर इस बार राहुल और अखिलेश दोनों को उनकी हैसियत का अंदाजा लग जाएगा. दुष्कर्म के आरोपी प्रत्याशी को यहां की जनता किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी.


इधर, अमेठी के अलावा दूसरी सबसे चर्चित सीट अयोध्या की है. यहां पर समाजवादी पार्टी के नेता व मंत्री पवन पांडेय का कब्जा है. पवन इस सीट को बीजेपी से 21 साल बाद छीनने में सफल रहे थे. अखिलेश ने एक बार फिर उन्हीं पर दांव लगाया है.


गंगा-जमुनी तहजीब को खत्म करने की कई बार की गई कोशिश


यहां का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि पहली बार 1980 के बाद किसी पार्टी ने यहां से मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है. बीएसपी ने यहां से बज्मी सिद्दीकी को टिकट दिया है. बज्मी कहते हैं, "अयोध्या ऐसी सीट है जिसे लेकर विरोधी हमेशा से ही सियासत करते रहे हैं. यहां पर गंगा-जमुनी तहजीब को खत्म करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. बहन जी के शासनकाल में यहां हिंदू और मुसलमान दोनों को पूरी सुरक्षा मिलती है."


अयोध्या की सीट से जीत मिलने पर पूरे देश में एक संदेश जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में पवन पांडेय ने लल्लू सिंह को हराकर अपनी ताकत का एहसास कराया था. उसकी गूंज नागपुर तक सुनाई दी थी. लल्लू सिंह हालांकि बाद में हुए लोकसभा चुनाव में जीत गए थे. इस बार बीजेपी ने यहां से वेद प्रकाश गुप्ता को मैदान में उतारा है. लल्लू सिंह ने कहा, "अयोध्या सीट पर इस बार बीजेपी की वापसी होगी. यहां से जीत का संदेश पूरे देश में जाएगा."