लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों एक बाबा को लेकर घूम रहे हैं. वो भी भगवाधारी. समाजवादी पार्टी के नेताओं का दावा है कि बाबा की शक्ल योगी आदित्यनाथ से मिलती है. इसकी जानकारी खुद अखिलेश ने ट्वीट कर दी है.  अखिलेश ने ट्वीट कर कहा, ''हम नक़ली भगवान तो नहीं ला सकते पर एक बाबा जी लाए हैं.ये हमारे साथ गोरखपुर छोड़ प्रदेश में सबको सरकार की सच्चाई बता रहे हैं.'' योगी के मुक़ाबले में लाए गए इस बाबा को लेकर पार्टी के अंदर और बाहर तरह तरह की चर्चा है.







इस पर प्रतिक्रिया देते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी एक ट्वीट किया है. योगी ने लिखा, ''अपात्र पुत्र को पिता से राजनीतिक विरासत मिले तो पुत्र से संभलती नहीं है.'भ्रष्टाचारियों की कुलदेवी' के सामने नतमस्तक होने के बाद 'कर्महीन कुलभूषण' 'लाल' से लगी छोड़, 'नीले' से निवृत्त और 'हरे' से हारकर अब 'भगवा शरणागत' हो रहे हैं. इन कपटी बहरूपियों और मायाजाल से जनता अब सजग है.




नक़ली योगी कौन हैं और कैसे अखिलेश यादव को मिले?


पूरी कहानी कुछ इस तरह है कि इनका पूरा नाम सुरेश ठाकुर है. आज कल अपने नाम में इन्होंने योद्धा सरनेम लगा लिया है. ये लखनऊ से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन नामांकन का पर्चा रद्द हो गया. इस तरह राजनाथ सिंह से मुक़ाबला करने का सपना चूर चूर हो गया.


लखनऊ के रहने वाले सुरेश कुछ महीनों पहले तक सरकारी कर्मचारी थे. मायावती के जमाने में बने पार्क और स्मारक में नौकरी करते थे. वे पंप ऑपरेटर के पद पर तैनात थे. ये नौकरी सुरेश को साल 2011 में मिली थी. तब मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं. लेकिन दिसंबर 2017 में उन्हें सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. तब तक योगी आदित्यनाथ राज्य के सीएम बन चुके थे.


सुरेश ने कई बार धरना प्रदर्शन किया. नौकरी बचाने की कई कोशिशें की. लेकिन बात नहीं बनी. वे बर्खास्त किए गए कर्मचारियों के नेता बन गए. फिर लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ने आ गए. पर्चा ख़ारिज होने पर समाजवादी पार्टी की शरण में पहुंच गए. पार्टी के ही एक नेता ने सुरेश की मुलाक़ात अखिलेश यादव से करवाई. बस यहीं से उनकी राजनीति को उड़ान मिल गई.



सरकारी नौकरी जाने के बाद से ही सुरेश ने मुंडन करवा लिया था. वे कहते हैं कि मैंने यूपी सरकार का श्राद्ध कर्म कर दिया था. फिर पिछले महीने भर से सुरेश भगवा कपड़े पहनने लगे हैं. उनका गेटअप ऐसा है कि पीछे से देखने पर सब ग़च्चा खा जायें. उनका डीलडौल यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलता जुलता है. वही रंग रूप और क़द काठी भी काफी मेल खाती है. इसीलिए तो अखिलेश यादव ने उन्हें चुनाव प्रचार में लगा दिया है.


पहली बार सुरेश को लोगों ने अखिलेश यादव के साथ पहली मई को देखा. समाजवादी पार्टी ऑफ़िस में लखनऊ लोकसभा सीट के लिए एक बैठक बुलाई गई थी. अखिलेश ने सुरेश को मंच पर बुला कर बैठने को कहा. कई लोगों ने तो उन्हें योगी आदित्यनाथ समझा. अखिलेश ने मीटिंग में मौजूद नेताओं से सुरेश का परिचय कराया. फिर तो भगवाधारी सुरेश की डिमांड बढ़ गई. अखिलेश तो उन्हें लेकर अयोध्या और बाराबंकी भी चले गए थे. एक बड़े नेता को उतार कर सुरेश को हेलिकॉप्टर में बैठाया गया था. समाजवादी पार्टी में मिल रहे मान सम्मान से गदगद सुरेश कहते हैं अब तो उनका जीवन अखिलेश यादव को समर्पित है.


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