लखनऊ: अखिलेश यादव को लखनऊ एयरपोर्ट पर रोके जाने के बाद से यूपी में राजनैतिक माहौल गर्म है. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं. लखनऊ से लेकर नोएडा तक योगी सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन जारी है. संसद से लेकर यूपी विधानसभा तक इस मुद्दे पर हंगामा हुआ. लेकिन जिस अधिकारी ने अखिलेश को एयरपोर्ट पर रोक लिया. वो भी चर्चा में हैं. लखनऊ के एडीएम वैभव मिश्र और अखिलेश यादव की बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया है. गुलाबी रंग की क़मीज़ पहने वैभव से अखिलेश ने प्रयागराज न जाने देने का लिखित आदेश मांगा था. इस अधिकारी का पिछले 8 सालों में 16 बार तबादला हो चुका है.


प्रतापगढ़ के रहने वाले वैभव मिश्र 2008 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं. वे अपने बैच के टॉपर रहे हैं. उनकी छवि एक ईमानदार अफ़सर की रही है. 25 नवंबर 1980 को वैभव का जन्म हुआ था. वे जब महज़ दो साल के थे, उनके पिता चल बसे. वैभव के पिता आर्मी में वारंट अफ़सर थे. उनकी मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थीं. उन्होंने ही वैभव और उनके बड़े भाई विक्रांत का लालन पालन किया. वे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पोलिटिकल साइंस में बीए और एमए हैं. साल 2006 में वे रिसर्च फेलो हो गए. अपने ममेरे भाई विवेक पांडे से उन्हें सिविल सेवा में जाने की प्रेरणा मिली. विवेक अभी आईएएस अफ़सर हैं. भाई से प्रेरित होकर वैभव ने दिल्ली में कोचिंग की. कई बार यूपीएससी और यूपीपीसीएस की परीक्षा दी. आख़िरकार उनकी मेहनत रंग लाई. साल 2011 में यूपी सिविल सेवा का रिज़ल्ट आया तो वे टॉपर बने.


अपनी पहली पोस्टिंग से ही वैभव मिश्र लगातार सत्ता के निशाने पर रहे हैं. उन्हें जो भी काम मिला, ईमानदारी और लगन से पूरा किया. 2007 में जब वे इलाहाबाद सदर के एसडीएम थे.उन्होंने मीरगंज के वेश्यालयों को स्थानांतरित करने में अहम भूमिका निभाई थी.वैभव ने खनन माफ़िया के ख़िलाफ़ भी अभियान चलाया था. ये बात उन दिनों की है, जब वे उरई में एडीएम थे. बालू माफ़िया ने उन्हें ट्रैक्टर से कुचलने की कोशिश भी की थी.