मेरठ: अयोध्या में श्रीराममंदिर निर्माण मुद्दे से जुड़े बयान देकर चुनावी गर्मी बढ़ा रहे नेताओं और संतों को उत्तर-प्रदेश के राज्यपाल श्रीराम नाईक ने नसीहत दी है. राज्यपाल ने कहा कि यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. कोर्ट जो निर्णय देगा उसका सम्मान सबको करना है. संविधान की गरिमा और सुप्रीम कोर्ट की मान-मर्यादा का हम सबको ख्याल रखना होगा.
मेरठ के चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह के मौके पर राज्यपाल श्रीराम नाईक कुलाधिपति के रूप में कार्यक्रम की अध्यक्षता करने पहुंचे थे. कार्यक्रम के समापन के बाद पत्रकारों से रूबरू राज्यपाल ने कहा कि राममंदिर को लेकर जनता के मन में कई तरह के विचार है. जनता और नेता इन विचारों को व्यक्त करते है. जहां तक मेरा मानना है यह प्रश्न कोर्ट में विचाराधीन है. कोई विषय जब कोर्ट में विचाराधीन होता है तो संविधान से बंधे होने के नाते मेरा मानना है कि ऐसे विषय पर विचार व्यक्त करना उपयुक्त नहीं होता.
केन्द्र और उत्तर-प्रदेश सरकार के मंत्री, नेताओं के इस मुद्दे पर आ रहे बयानों के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि आप मुझे पूछो तो राज्यपाल के तौर पर मेरी मर्यादा है, सीमा है. इतने महत्वपूर्ण विषय पर टिप्पणी करना मेरे लिए उपयुक्त नहीं है. जहां तक बात जनता की है तो जनता को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है. अब जब चुनाव आयेंगे तो लोग चुनाव के बारे में भी विचार व्यक्त करेंगे. लेकिन कोर्ट के फैसले से पहले इस मुद्दे पर विचार व्यक्त करना ठीक नहीं है.
चुनावी सीजन में रामंदिर से जुड़े बयानों की लगी झड़ी
लोकसभा चुनाव के नजदीक आते है बीजेपी के बयानवीर राममंदिर निर्माण के मुद्दे को गरमाने में जुट गये हैं. रविवार को उन्नाव में बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा था कि चुनाव से पहले अयोध्या में राममंदिर का निर्माण शुरू हो जायेगा. विश्व हिंदू परिषद के नेता राममंदिर निर्माण के लिए 5 अक्टूबर को तारीख का ऐलान करने पर आमादा है और 2 से 3 नवम्बर तक दिल्ली में आयोजित होने वाली संतो और धर्मगुरुओं की पंचायत में इस संबध में फैसला लिया जा सकता है.
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में राममंदिर मुद्दे पर बोलते हुए कहा था कि अयोध्या में राममंदिर का निर्माण जल्द होना चाहिए. अयोध्या में राममंदिर न्याय के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास तो हाल ही में यहां तक कह चुके है कि अगर मोदी सरकार ने राममंदिर का निर्माण चुनाव से पहले शुरू नही कराया तो बीजेपी को उसका चुनाव के नतीजों में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.