नोएडाः ग्रेटर नोएडा में शर्मसार करने वाली घटना आई सामने आई हैं. एक गर्भवती महिला को उसके परिवार वाले रात भर नोएडा-ग्रेटर नोएडा के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में डिलीवरी कराने के लिए एंबुलेंस में दौड़ते रहे लेकिन किसी भी अस्पताल ने महिला को भर्ती नहीं किया. अस्पताल के बाहर गर्भवती महिला रात भर तड़पती रही. देर रात एंबुलेंस में ही गर्भवती महिला ने ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल पर दम तोड़ दिया.


गर्भवती महिला का पति रात भर एक दर्जन से ज्यादा अस्पतालों के डॉक्टरों से गुहार लगता रहा लेकिन किसी भी अस्पताल ने महिला की डिलीवरी नहीं कराई. ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल में गर्भवती महिला ने दम तोड़ दिया. सरकारी अस्पताल और निजी अस्पतालों की यह बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. जिस तरह से डॉक्टर एक गर्भवती महिला को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भेजते रहे जबकि गर्भवती महिला पीड़ा से बार-बार कराह रही थी लेकिन किसी भी डॉक्टर को तरस नहीं आया कि उस महिला को अस्पताल में भर्ती कराकर उसकी डिलीवरी करा दी जाए.


अगर इस गर्भवती महिला को उपचार सही समय पर मिल जाता तो हो सकता है इस गर्भवती महिला की जान बच सकती थी और इसकी कोख में जो बच्चा पल रहा था आज वह भी किसी की गोद में खिलखिला रहा होता. जिस घर मे मातम का माहौल है, अगर डॉक्टर उपचार सही समय पर कर देते तो आज इस घर और गली में खुशियों का माहौल बना हुआ होता.


हालांकि लॉकडाउन के दौरान अस्पतालों की लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई मामले आ चुके हैं. अभी कुछ दिन पहले एक नवजात बच्चे को लेकर एक लाचार पिता सरकारी अस्पताल और प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए घूमता रहा लेकिन किसी भी अस्पताल में नवजात बच्चे का इलाज नहीं किया और उसकी भी ईलाज के बगैर जान चली गई. हालांकि उस मामले में जांच के आदेश दिए थे.


जिलाधिकारी सुहास एल वाई के द्वारा इस पूरे प्रकरण की जांच अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक अहोरी को सौंपी गई है. जिलाधिकारी ने दोनों अधिकारियों को इस प्रकरण में तत्काल जांच करते हुए कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं.


दिल्ली: अस्पतालों पर बरसे केजरीवाल, कहा- किसी कोरोना मरीज को भर्ती करने से मना नहीं कर सकते