लखनऊ: योगी आदित्यनाथ और यूपी के सीएम ऑफिस को टैग करते हुए हर दिन हज़ारों लोग ट्वीट करते हैं. कोई जमीन कब्जे की शिकायत करता है. कुछ लोग अस्पताल में सही इलाज न हो पाने का दर्द साझा करते हैं. किसी के पास पुलिस की शिकायत होती है. तो कोई ख़राब सड़क का रोना रोता है. जितने लोग, उतनी शिकायतें और वैसे ही ट्वीट भी. लेकिन मुख्यमंत्री का सचिवालय शायद ही इन ट्वीट को पढ़ता है. हर दिन हजारों ट्वीट सीएम के लिए आते हैं. कभी कभार कुछ ट्वीट पर कार्रवाई ज़रूर हुई. गोंडा में इलाज के लिए तरस रहे एक नौजवान की मदद ट्वीट से ही हुई थी.

लेकिन उन्नाव रेप कांड ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के ट्विटर अकांउट चलाने वालों को बैकफ़ुट पर ला दिया है. रेप पीड़िता के चाचा ने सीएम ऑफिस और योगी को टैग करते हुए कई ट्वीट किए थे. जिसमें उन्होंने अपनी भतीजी और पूरे परिवार की आपबीती बताई थी. उन्होंने लिखा कि बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर और उनके लोग कैसे उन्हें परेशान कर रहे हैं. पुलिस ने पीड़ित परिवार की कोई मदद नहीं की. पीड़िता के चाचा लगातार ऐसे ट्वीट करते रहे. लेकिन मुख्यमंत्री के ऑफिस से उन्हें कोई मदद नहीं मिली. आख़िरकार पीड़िता के पिता की हत्या हो गई. सीएम योगी आदित्यनाथ को जब पीड़िता के चाचा के ट्वीट के बारे में पता चला तो वे बेहद नाराज हुए.

अब तय हुआ है कि सीएम ऑफिस को टैग कर जो भी ट्वीट आएगा, वैसे सारे ट्वीट का अलग से ब्यौरा तैयार होगा. महिलाओं के अपराध और दलितों से जुड़े मामलों का अलग से डाटा तैयार होगा. ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करने का योगी ने आदेश दिया है. सीएम ऑफिस और यूपी के डीजीपी ऑफिस से ऐसे ट्वीट पर लगातार नजर रखी जायेगी. जो भी कार्रवाई होगी उसे ट्वीट के जरिए बताया जाएगा. योगी को लगता है कि अगर किसी ने पीडिता के घरवालों के ट्वीट के बारे में बताया होता तो शायद उनकी इतनी फ़ज़ीहत नहीं होती.