इलाहाबाद : सीएम योगी आदित्यनाथ के बाद यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी इन दिनों दलितों के घर खाना खाकर गांवों में रात बिताने के मिशन पर काम कर रहे हैं. हालांकि उनके दौरों के बाद काम की कम और विवादों की ज़्यादा चर्चा होती है. अपने गृहनगर इलाहाबाद में केशव मौर्य के दो दिनों के दौरे की शुरुआत स्विस कॉटेज में एयरकंडीशनर लगे होने के विवाद के साथ हुई तो दौरे के आख़िरी दिन खींची गई उनकी एक तस्वीर पर अब कोहराम मचने लगा है.


सियासी गलियारों में शुरू हुई खुसर-फुसर 

इस तस्वीर में केशव मौर्य गांव के ट्यूबवेल पर लोगों के सामने नहाते हुए नजर आ रहे हैं. लेकिन विवाद उनके नहाने पर नहीं, बल्कि उस दौरान शरीर पर जनेऊ पहनने को लेकर है. वैसे केशव मौर्य समेत किसी के भी जनेऊ पहनने या उसे पहनकर नहाने पर कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन सियासी गलियारों में यह खुसर-फुसर शुरू हो गई है कि डिप्टी सीएम ने सिर्फ सियासी फायदे के लिए जनेऊ पहनकर तस्वीरें खिंचाई हैं. विपक्षी पार्टियां केशव की इस तस्वीर के बहाने उन पर सियासी तीर भी चला रही हैं और सवाल उठा रही हैं कि क्या दलित के घर खाना खाने के बाद अगड़ी जाति के लोगों की नाराज़गी से बचने के लिए उन्होंने जनेऊ पहनकर तस्वीरें खिंचाई या फिर वह हमेशा ही जनेऊ पहनते हैं.

इलाहाबाद के पियरी बिजलीपुर गांव की है तस्वीर

जनेऊ पहनकर ट्यूबवेल पर नहाने की डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की यह तस्वीर 29 अप्रैल को इलाहाबाद के पियरी बिजलीपुर गांव की है. डिप्टी सीएम इस गांव में एक दिन पहले अट्ठाइस अप्रैल को ही पहुंचे थे. यहां उन्होंने चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएं सुनी थीं और उसके बाद दलित रमेश पासी के घर ज़मीन पर बैठकर पत्तल में खाना खाया था. हालांकि रात्रि विश्राम के दौरान एयरकंडीशनर लगे स्विस कॉटेज तैयार किये जाने की वजह से केशव मौर्य और उनकी सरकार की खूब फजीहत हुई थी.

इसके अगले दिन उनतीस अप्रैल को केशव ने गांव के ट्यूबवेल पर खुले में स्नान किया. स्नान की जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनमे वह जनेऊ पहने हुए नजर आ रहे हैं. जनेऊ पहने हुए उनकी इसी तस्वीर पर अब कोहराम मच गया है और चाय - पान की दुकानों से लेकर गांवों और गलियों में इस पर चर्चा की जा रही है.

पहले सिर्फ उच्च वर्ग की तीन जातियों ब्राह्मण - क्षत्रिय और वैश्यों को ही था जनेऊ  पहनने का अधिकार

दरअसल विवाद इस वजह से है क्योंकि हिन्दू धर्मग्रंथों के मुताबिक़ शुरुआत में जनेऊ पहनने का अधिकार सिर्फ उच्च वर्ग की तीन जातियों ब्राह्मण - क्षत्रिय और वैश्यों को ही था. लम्बे समय तक सिर्फ इन्ही तीन जातियों के लोग ही जनेऊ पहनते थे. मौजूदा समय में भी ज़्यादातर इन्ही तीन जातियों के लोग ही जनेऊ पहनते हैं. हालांकि धर्म के जानकार डा. गिरिजा शंकर शास्त्री का दावा है कि वक्त के साथ जातियों का यह बंधन टूटता चला गया है और अब किसी भी जाति के लोग उपनयन या यज्ञोपवीत संस्कार कर जनेऊ धारण कर सकते हैं.

जनेऊ पहनने में नहीं है कोई बुराई

उनके मुताबिक़ अगर पिछड़ी जाति के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जनेऊ पहना है तो उसमे कुछ भी गलत नहीं है. गिरिजा शंकर शास्त्री का कहना है कि अब तो कुछ दलित भी जनेऊ पहनने लगे हैं. ऐसे में ओबीसी वर्ग के डिप्टी सीएम केशव भी जनेऊ पहन सकते हैं. इस बारे में डिप्टी सीएम केशव मौर्य से संपर्क नहीं हो सका, लेकिन उनके करीबियों ने दावा किया कि केशव मौर्य का उपनयन संस्कार तकरीबन पचीस साल पहले वीएचपी के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंहल की मौजूदगी में इलाहाबाद में हुआ था. बचपन में ही घर-बार छोड़ने के बाद वह अशोक सिंहल के पास ही रहते थे.

अभय अवस्थी का आरोप- केशव समेत बीजेपी के दूसरे नेताओं का दलित प्रेम दिखावा

इसके बावजूद विपक्षी पार्टियों को डिप्टी सीएम केशव मौर्य की जनेऊ वाली तस्वीर में भी सियासत नजर आ रही है. यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता बाबा अभय अवस्थी का आरोप है कि दलित के घर खाना खाने से अगड़े वर्ग के लोग कहीं नाराज़ न हो जाएं, केशव ने इसीलिए जनेऊ पहनकर नहाते हुए तस्वीरें खिंचाई. उनका दावा है कि केशव समेत बीजेपी के दूसरे नेताओं का दलित प्रेम दिखावा है और यह लोग दलितों की तरफ देखना भी पसंद नहीं करते.

टीकेश गौतम ने कहा, जातीय सियासत पर उतर आए हैं घबराए नेता

बीएसपी के इलाहाबाद जोन के इंचार्ज टीकेश गौतम और पार्टी की ब्राह्मण भाईचारा कमेटी के कोआर्डिनेटर बृजेश पांडेय का कहना है कि यूपी में मायावती और अखिलेश यादव की दोस्ती से बीजेपी के नेता घबरा गए हैं इसलिए वह जातीय सियासत पर उतर आए हैं. कभी दलित के घर खाना खाते हैं तो कभी जनेऊ पहनकर तस्वीर खिंचाकर दलित विरोधी होने की सफाई भी देते हैं.

सत्यवीर मुन्ना ने कहा, सियासी नौटंकी से ज़्यादा कुछ नहीं 

समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक सत्यवीर मुन्ना भी इसे सियासी नौटंकी से ज़्यादा कुछ नहीं मानते. उनका कहना है कि केशव मौर्य को यह साफ़ कर देना चाहिए कि जनेऊ वाली तस्वीरें खिंचवाकर आखिरकार वह क्या संदेश देना चाहते हैं. पत्रकार मनोज तिवारी का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के नेता जानबूझकर इसी तरह के विवादित कदम उठाते रहेंगे. बहरहाल वजह भले ही कोई ख़ास न हो पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य की जनेऊ वाली तस्वीर पर विवाद खड़ा हो ही गया है.