नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की मेडिकल रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह पता चलता हो कि उसे पटियाला जेल में शारीरिक या मानसिक यातना दी गई. जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि उन्होंने मेडिकल रिपोर्ट का अवलोकन किया है. जेल मे आरोपी को शारीरिक और मानसिक यातना देने के दावों के समर्थन में उसके टेस्ट के दौरान डॉक्टर्स को किसी भी तरह की चोट नहीं मिली है.


ब्रजेश ठाकुर को 30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार की भागलपुर जेल से पंजाब में हाई सिक्योरिटी वाली पटियाला जेल स्थानांतरित किया गया था. मुजफ्फरपुर कांड में 30 से ज्यादा लड़कियों का कथित रेप और यौन उत्पीड़न हुआ था. यह घटना सबसे पहले बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गयी टीआईएसएस की रिपोर्ट में सामने आयी थी.


इस मामले में सोमवार को सुनवाई के दौरान बेंच ने ब्रजेश ठाकुर की मेडिकल रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उसकी ओर से पेश सीनियर वकील विकास सिंह से कहा कि मेडिकल टेस्ट में कोई चोट नहीं मिली है. विकास सिंह ने छह दिसंबर को ब्रजेश ठाकुर के दो बच्चों द्वारा कथित रूप से लिखा गया एक पत्र न्यायालय में पेश किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि पटियाला जेल में उन्हें शारीरिक और मानसिक यातनायें दी जा रही हैं.


इसके बाद, कोर्ट ने जेल अधीक्षक को पटियाला में न्यायिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में एक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के समक्ष पेश करने का आदेश दिया था. चिकित्सा अधीक्षक को आरोपी की जांच के लिये मेडिकल बोर्ड गठित करने और उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया गया था।


मामले की सुनवाई के अंतिम क्षणों में विकास सिंह ने पीठ से कहा कि इस आश्रय गृह का संचालन करने वाले गैर सरकारी संगठन को बिहार सरकार के संबंधित विभाग से इस चार मंजिला इमारत के बारे में नोटिस मिला है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने इससे पहले टिप्पणी की थी कि 50 फुट ऊंची दीवार वाली यह इमारत शायद अनधिकृत है और जब इस नोटिस के खिलाफ न्यायाधिकरण में हम गये तो उसने इसमें हस्तक्षेप से इंकार कर दिया क्योंकि मामला शीर्ष अदालत के पास है. इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम इसमें कुछ नहीं कर सकते.’’