लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने रविवार को कहा कि चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी ने अपना मायाजाल फैलाना शुरू कर दिया है. प्रदेश के कृषिमंत्री 'कृषिकुंभ' की नौटंकी के साथ झूठ को सच बनाने की कला भी आजमाने लगे हैं, लेकिन लोग अब सच्चाई समझने लगे हैं.
पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि बीजेपी ने अपने वादों से मुकरकर अपनी साख खुद गिरा दी है. प्रदेश के मतदाता अखिलेश यादव के कामों से भी परिचित है और यह भी देख रहे हैं कि बीजेपी सरकार ने, वह चाहे केंद्र की हो या राज्य की, अपना समय सिर्फ भाषणों, सम्मेलनों और प्रचार के लिए विज्ञापन, होर्डिग में ही गंवाया है.
सपा नेता ने आंकड़ा देते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार के 4 वर्ष के कार्यकाल में 50 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है.
''प्रदेश के कृषि मंत्री को अच्छी तरह मालूम है कि बीजेपी को अखिलेश यादव ही कड़ी चुनौती देते हैं''
चौधरी ने कहा कि प्रदेश के कृषि मंत्री को अच्छी तरह मालूम है कि बीजेपी को अखिलेश यादव ही कड़ी चुनौती देते हैं. पिछले लोकसभा के उपचुनावों में मिले दर्द को अभी तक वे भूले नहीं होंगे, इसलिए कथित 'कृषि कुंभ' में किसानों की हमदर्दी पाने को वे झूठे आंकड़ों पर उतर आए. उनका यह दावा कि समाजवादी सरकार के समय से ज्यादा गेहूं की खरीद हुई, हवाई दावे से ज्यादा कुछ नहीं, क्योंकि जिस रिकार्ड खरीद का वे दावा कर रहे हैं, वह खरीद बिचौलियों के माध्यम से की गई है. भोले-भाले किसान को तो न्यूनतम समर्थन मूल्य की जगह धोखा ही मिला है.
उन्होंने कहा कि जब बीजेपी को वोट लेना था तो 14 दिनों के भीतर गन्ना किसानों का बकाया भुगतान का वादा हुआ था, प्रति कुंतल 275 रुपये मुनाफा देने की बात थी, विधानसभा चुनाव जीतते ही प्रधानमंत्री इसे भुला बैठे. तथ्य यह है कि 50 हजार से ज्यादा किसानों ने उनके कार्यकाल (4 वर्ष) में आत्महत्या की. बीजेपी शासित हर राज्य की सरकार इसे झुठलाने में लगी है. ये लोग कर्ज के खातिर प्राण गंवानेवाले अन्नदाताओं का अपमान करने में भी हिचक नहीं रहे हैं.
''सैकड़ों किसानों को फसल बबार्दी के बाद भी कुछ नहीं मिला''
चौधरी ने कहा कि बिजली, तेल, ईंधन, कीटनाशक दवाइयां और खाद की कीमतों पर जीएसटी की ऐसी मार पड़ी कि किसान उससे त्रस्त हैं. सैकड़ों किसानों को फसल बबार्दी के बाद भी कुछ नहीं मिला.
उन्होंने कहा कि कृषिकुंभ के आयोजन पर बीजेपी सरकार ने सैकड़ों करोड़ रुपये उड़ा दिए और किसान बाहर धक्के खाते रहे, अंदर जश्न चलता रहा. किसान यही नहीं समझ पाएं कि उनके फायदे की कौन सी घोषणा मंत्री जी ने की है. यह बीजेपी सरकार की संवेदनशून्यता की पराकाष्ठा नहीं है तो क्या है?
चौधरी ने कहा कि अनर्गल बयानबाजी करने से बेहतर होता कृषिमंत्री वास्तविकता से अवगत हो लेते. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में गांव-खेती के मद में 75 प्रतिशत राशि बजट में रखी थी. 50 हजार रुपये तक किसानों का कर्ज माफ किया था. किसानों को मुफ्त सिंचाई सुविधा देने के साथ खाद, कीटनाशक दवा और बीज आदि की समय से उपलब्धता सुनिश्चित कराई थी.फसल बीमा का लाभ 7 लाख रुपये तक दिया गया था. बिजली की पर्याप्त आपूर्ति की गई थी. किसानों की आय बढ़ाने के लिए सड़कों से मुख्यालय को जोड़ने के साथ फल-सब्जी, अनाज, दूध मंडियों की स्थापना की व्यवस्था की थी.
सपा नेता ने कहा कि बीजेपी ऐसा माहौल बना रही है कि किसानों को जैसे बहुत मिल रहा है, जबकि यह सिर्फ किसानों को गुमराह करने का हथकंडा है. किसान की आय दोगुनी होने के कोई आसार दूर-दूर तक नहीं दिख रहे हैं. चुनावों में सामने खड़ी हार को देखकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ उनके दूसरे मंत्री भोले भाले किसानों को बहकाने में लग गए हैं. किसान को तो कोई राहत नहीं मिली, उद्योगपतियों के लाखों करोड़ के कर्ज माफ हो गए हैं.