मेरठ: एक नौजवान अपनी बहनों की शादी का खर्च उठाने के लिए जरायम की दुनिया में कूद गया. उसने 4 साल में 400 से ज्यादा लोगों के एटीएम कार्ड बदलकर लाखों की ठगी की और अपनी 2 बहनों के हाथ पीले कर दिए. बावजूद इसके एटीएम ग्राहकों से ठगी का सिलसिला रुका नहीं. आसान धंधे में मोटी कमाई करने के लिए उसने बाकायदा गैंग बनाया और खुद उसका सरगना बन गया. पुलिस ने सरगना समेत गैंग के 3 बदमाशों को गिरफ्तार किया है.


मेरठ के टीपीनगर इलाके के मलियाना निवासी प्रदीप कई साल पहले तक आर्थिक तंगी का शिकार रहा. पिता की मृत्यु के बाद उसके ऊपर दो बहनों और खुद की शादी की जिम्मेवारी थी. उसने इस जिम्मेवारी को निभाने के लिए जरायम का रास्ता चुना.

खुद के साथ हुई एटीएम ठगी की एक घटना के बाद उसने इसी अपराध को अपना रोजगार बना लिया और बहनों की शादी का खर्च इकट्ठा करने के लिए ताबड़तोड़ वारदातें की. पुलिस के मुताबिक प्रदीप ने 4 साल में 400 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी की.

एटीएम में रुपए निकालने आने वाले लोगों के एटीएम कार्ड वह चालाकी से बदल किया करता था और फिर अपने हुनर का इस्तेमाल करके उन एटीएम कार्डस की मदद से रुपए निकाल लिया करता था. ठगी के इस धंधे से उसने केवल दो बहनों की शादी की जिम्मेदारी ही नहीं उठाई, अपनी शादी के बाद बीवी की दो बार डिलीवरी का खर्च भी उठाया.



दर्जन भर बैंकों के एटीएम कार्ड्स बदमाशों से बरामद

लिसाड़ी गेट थानेदार रघुराज सिंह ने हापुड़ अड्डे के पास से प्रदीप और उसके साथियों को एटीएम में रुपए निकालते वक्त रंगेहाथ गिरफ्तार किया. पुलिस को प्रदीप के बारे में यह जानकारी मिली थी किस शहर में हो रही एटीएम ठगी की वारदातों में एक बड़ा किरदार है.

क्राइम ब्रांच की साइबर सेल प्रदीप के ऊपर निगरानी रखे हुए थी. प्रदीप जब एक एटीएम मशीन के सामने ग्राहक का कार्ड बदलकर पैसे निकालने की जुगत में था, पुलिस ने तभी उसे गिरफ्तार कर लिया. प्रदीप और उसके साथियों के पास से स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, पंजाब एंड सिंध बैंक, केनरा बैंक, ओसीबी बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के 21 एटीएम कार्ड मिले हैं.

इसके अलावा 4 मोबाइल फोन और कुछ नगदी भी बरामद हुई है. यह गिरोह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों के अलावा राजस्थान और दिल्ली में भी एटीएम कार्डस को बदलकर लाखों रुपए की ठगी की वारदातें कर चुका है.

एटीएम के नौसिखिये रहते थे निशाने पर

प्रदीप और उसके गिरोह के निशाने पर ऐसे ग्राहक रहते थे जो भीड़भाड़ वाले इलाकों में एटीएम से पैसे निकालने की कोशिश करते दिखते थे. निकासी की प्रक्रिया को ठीक से ना कर पाने की वजह से उन्हें जब दिक्कत होती थी तो मदद के नाम पर प्रदीप और उसके साथी उसका एटीएम कार्ड बदल देते थे.

ग्राहक से हासिल एटीएम कार्ड के जरिए गैंग पैसे निकालकर चम्पत हो जाता था. ग्राहक का पासवर्ड हासिल करने के लिए वह उसे एटीएम से पैसे निकालने की एक-दो बार कोशिश कराते थे और उनका पासवर्ड जान लेते थे. प्रदीप और उसके गैंग ने इस तरह सैकड़ों लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया.