मेरठ: मेरठ इन दिनों जातीय संघर्ष में झुलस रहा है. दलितों के साथ दो गांवों में हिंसक लड़ाई के बाद शहर में ठाकुरों ने बड़ा प्रदर्शन किया है. शहर के कमिश्नरी चौराहे पर 25 गांवों के सैकड़ों ठाकुर ने पहुंचकर अपना विरोध जताया है.ठाकुरों ने आरोप लगाया है कि भीम आर्मी नाम के संगठन के लोग दलितों को ठाकुरों के खिलाफ भड़का रहे हैं. भीम आर्मी के लोग शहर के हर गांव में मौजूद हैं. ठाकुर समाज के हज़ारों लोगों ने एसएसपी से भीम आर्मी की शिकायत की. एसएसपी ने इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई का आश्वासन दिया है, उन्होंने भीम आर्मी की जांच करवाने की बात भी कही है.


दरअसल मेरठ के एक गांव में कांवड़ देखकर लौट रही दलित लड़कियों से सवर्ण युवकों द्वारा छेड़छाड़ का मामला सामने आया था. लड़कियों की शिकायत पर दलितों ने जब विरोध जताया तो सवर्णो ने जातिगत टिप्पणी के साथ हाथापाई शुरू कर दी. पथराव और संघर्ष में एक 19 साल के दलित छात्र रोहित की मौत हो गई थी और करीब 8 लोग घायल हुए थे. शव को अंबेडकर चौपला पर रखकर दलितों ने घंटों पुलिस के खिलाफ हंगामा किया था. पुलिस ने इस मामले में 4 अराजकों की भी गिरफ्तारी की है.


 ऐसे शुरू हुई दोनों पक्षों के बीच हिंसा

मेरठ का उल्देपुर गांव थाना इंचौली क्षेत्र में आता है. मेरठ-पौड़ी हाइवे पर गुजर रही कांवड़ों को देखने के लिए गांव की कुछ दलित परिवारों की लड़कियां हाइवे पर गई थी. वह जब गांव लौट रही थी तो गांव के ही सवर्ण लड़कों ने उनके साथ छेड़छाड़ की, छींटाकशी की. लड़कियों ने अपने घर जाकर परिजनों को छेड़छाड़ की बात कह सुनाई. दलित परिवारों ने अपनी बेटियों की आपबीती जब उन परिवारों को बताई जिनके लड़कों ने बेटियों से छेड़छाड़ की थी तो वह लड़ने को आमादा हो गए.

दलितों के साथ आपत्तिजनक भाषा में टिप्पणियां की गई तो दोनों पक्षों में बबाल शुरू हो गया. लाठी, डंडे और ईटों से जमकर दोनो ओर से प्रहार हुए. इस दौरान आधा दर्जन लोग घायल हुए जिनमें कुछ महिलाऐं भी शामिल है. पथराव में एक ईट 19 साल के दलित छात्र रोहित को भी लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. इसके बाद दलित पक्ष ने रोहित के शव को गांव के अंबेडकर चौपला में रखकर करीब 4 घंटों तक हंगामा किया था.

शब्बीरपुर गांव से जारी है ठाकुर-दलित के बीच गतिरोध



बता दें कि पिछले साल 5 मई को शब्बीरपुर के पास गांव सिमराना में महारणा प्रताप की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन था. सिमराना गांव जाने के लिए शब्बीरपुर गांव के ठाकुर महाराणा प्रताप शोभायात्रा औऱ जुलूस निकाले. दलित समाज के लोगों ने विरोध किया और जूलूस निकलने नहीं दिया. यहां से बात बिगड़ी और शब्बीरपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुई तनातनी ने उग्र रूप धारण कर लिया. इसके चलते दोनों पक्षों के बीच पथराव, गोलीबारी और आगजनी भी हुई. इस दौरान एक युवक की पत्थर लगने से मौत हो गई जबकि लगभग एक दर्जन लोग घायल हो गए थे. जिसके बाद क्षत्रिय समाज के लोगों ने दलितो के घरों को तहस नहस कर दिया. कई लोगों को मारपीट कर घायल कर किया.

दरअसल जूलूस निकलने न देने की वजह एक और विवाद भी था जो मूर्ती को लेकर था. शब्बीरपुर गांव के दलित प्रधान अंबेडकर की मुर्ति लागाना चाहते थे लेकिन क्षत्रिय समाज ने इसका विरोध किया जिसके बाद से तना तनी बढ़ गई.

क्या है भीम आर्मी
भीम आर्मी का नाम पहली बार सहारनपुर हिंसा के बाद ही सुर्खियों में आया. भीम आर्मी दलित समुदाय का संगठन है और चंद्रशेखर इसके संस्थापक हैं. भीम आर्मी और इसके संस्थापक चद्रशेखर पर सहारनपुर में हिंसा भड़काने का आरोप है हालांकि भीम ऑर्मी ऐसे सभी आरोपों को खारिज करती है. बीजेपी भीम ऑर्मी का रिश्ता मायावती से जोड़ती है, वहीं मायावती भीम ऑर्मी के पीछे बीजेपी का हाथ बताती है. भीम आर्मी की स्थापना दो साल पहले हुई है.