Lok Sabha Election 2019: बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र में तपती धरती और लू के बीच शहर से लेकर गांव तक चुनावी चर्चा गर्म है. शहर में पान की दुकानों से लेकर गांव में चाय की दुकानों तक लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक की चर्चा कर रहे हैं. स्थानीय उम्मीदवारों को लेकर भी चाय पर चर्चा जारी रहती है.


सासाराम (सुरक्षित) संसदीय सीट पर इस चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की तरह मुख्य मुकाबला महागठबंधन प्रत्याशी कांग्रेस नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से भारतीय जनता पार्टी नेता छेदी पासवान के बीच है. हालांकि यहां 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. सासाराम सीट पर अंतिम और सातवें चरण में 19 मई को मतदान होना है. इस सीट पर जहां मीरा कुमार के सामने अपने पिता बाबू जगजीवन राम की विरासत बचाने की चुनौती है तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी छेदी पासवान के सामने इस क्षेत्र से चौथी बार जीत दर्ज करने की चुनौती है.


सासाराम सीट को देखा जाए तो शुरू से ही यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. जगजीवन राम और सासाराम शुरू से ही एक दूसरे के पर्याय बने रहे. 1984 में जब कांग्रेस के पक्ष में पूरे देश में हवा चल रही थी तब भी जगजीवन राम कांग्रेस (जे) की टिकट पर यहां से आठवीं बार विजयी हुए थे. उस दौर में जगजीवन राम ने कांग्रेस से अलग होकर कांग्रेस (जगजीवन) बना ली थी. इसके बाद साल 1989 में हुए आम चुनाव में यह सीट जनता दल के हाथ में चली गई लेकिन 1996 में इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया.


पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के छेदी पासवान ने कांग्रेस की मीरा कुमार को पराजित कर तीसरी बार जीत दर्ज की थी. उस चुनाव में छेदी पासवान को जहां 3,66,087 मत मिले थे, वहीं मीरा कुमार को 3,02,760 मत मिले थे. सासाराम में सवर्ण वर्ग में ब्राह्मण और राजपूत सबसे ज्यादा हैं. लेकिन मतदाताओं की सबसे बड़ी संख्या दलितों की है. दलितों में मीरा कुमार की जाति रविदास पहले नंबर पर और दूसरे नंबर पर छेदी पासवान की जाति पासवान है. सासाराम लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें मोहनिया, भभुआ, चौनपुर, चेनारी, सासाराम और करहगर आती हैं. इनमें तीन विधानसभा सीटें रोहतास जिले की, जबकि तीन कैमूर जिले की हैं.


मीरा कुमार को इस बार राष्ट्रीय जनता दल, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, आरएलएसपी सहित कई दलों का समर्थन है, जबकि बीजेपी को जेडीयू का साथ है. पिछले चुनाव में आरएलएसपी एनडीए के साथ थी लेकिन इस बार वह महागठबंधन के साथ है.